एशिया की विशालतम खारे पानी की झील व प्रवासी पक्षियों का स्वर्ग
यदि आप ओडिशा की यात्रा पर निकलें तो निश्चित रूप से लगभग 1100 वर्ग किमी में फैली चिल्का झील तक जाए बिना तो इसे अधूरा ही माना जाएगा। यह भारत की सबसे बड़ी एवं विश्व की द्वितीय सबसे बड़ी समुद्री झील है। ओडिशा के प्राकृति सौंदर्य में चार चांद लगा देने वाली चिल्का झील प्रवासी पक्षियों का स्वर्ग है। इसके नयनाभिराम द्वीपों की सैर, सूयो
यदि आप ओडिशा की यात्रा पर निकलें तो निश्चित रूप से लगभग 1100 वर्ग किमी में फैली चिल्का झील तक जाए बिना तो इसे अधूरा ही माना जाएगा। यह भारत की सबसे बड़ी एवं विश्व की द्वितीय सबसे बड़ी समुद्री झील है। ओडिशा के प्राकृति सौंदर्य में चार चांद लगा देने वाली चिल्का झील प्रवासी पक्षियों का स्वर्ग है। इसके नयनाभिराम द्वीपों की सैर, सूर्योदय व सूर्यारत का दृश्य और प्रवासी पक्षियों के झुंड एक अविस्मरण्ीय अनुभव बन जाता है। नाशपाती के आकार में फैली इस झील के एक ओर सागर है तो दूसरी ओर राजमार्ग व पहाड़ियां। यहां झील के मध्य में एक हिंदू देवी को समर्पित मंदिर भी है। इस झील की विशेषता यह भी है कि खारे पानी का झील वर्षा के दिनों में मीठे पानी की झील बन जाती है। चिल्का झील ओडिशा के लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है।
दर्शनीय स्थल:-
झील-बंगाल की खड़ी से सटे चिल्का भारत में खारे पानी की सबसे बड़ी झील है जो ओडिशा से पुरी, खुर्द व गंजम तक फैली हुई है। यह विश्व की दूसरा विशलतम लैगून है। झील के एक ओर संकरा सा मुखद्वार है जहां से ज्वार के समय समुद्री जल इसमें आ समाता है। इस तरह इस सुंदर लैगून की रचना होती है। इसे 1973 में वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया और 1981 में इसे अंतराष्ट्रीय रूप से मान्यता प्राप्त हुई। इस झील में कालीजय द्वीप, आईलैंड, परीकुंड, बड़कुदा, हनीमून, कंतपंथ, कृष्णप्रसादर, नुवापाड़ा, सानकुद, बारकुल, रंभा व नलबाण आदि जैसे अनेक छोटे-छोटे द्वीप हैं। जहां आप नौका, मोटरबोट, क्रूज बोट, जलक्रीड़ा का आनंद ले सकते हैं। झील के तट पर हर वर्ष तारतारिणी मेला लगता है।
एवीफॉना-चिल्का झील में साईबेरिया साइबेरिया, आस्ट्रेलिया, रूस, कनाडा, फ्रांस, ईरान, इराक और अफगानिस्तान आदि स्थानों से पक्षी आते हैं। पक्षियों का आगमन अक्टूबर से आरंभ होता है और वे फरवरी तक चिल्का में रहते हैं। यहां आप पक्षियों की अनगिनत प्रजातियों को देख सकते हैं। यहां पक्षियों के झुंडों को देखना अपने आप में काफी रोमांचक अनुभव होता है।
फ्लोरा-चिल्का झील में सागर के खारे जल के अतिरिक्त महानदी, कुसुमी, कुशभद्रा और सालिया जैसी धाराओं के सम्मिलत होने के कारण इसमें मीठे जल का संगम भी होता है। सागर के खारे जल और नदियों के मीठे पानी का मिश्रण ही जलीय पौधों के लिए वरदान है। इस झील में जलीय वनस्पतियों से बने छोटे-छोटे द्वीपखंड मन मोह लेते हैं। यहां कई प्रकार की जलीय वनस्पति देखी जा सकती है।
फॉना-मछली पकड़ने के शौकीन लोगों को भी चिल्का झील बहुत भाता है। यहां मछली, झीगों व केकड़ों की 150 से अधिक प्रजातियां पाई जाती है। इस झील में जलीय जीव-जंतु प्रचार मात्रा में पाए जाते हैं। चिल्का झील प्राकृतिक सुंदरता का धनी है। साथ ही ओडिशावासियों के लिए आजीविका का साधन भी है। मछली पकड़ना ही स्थानियों लोगों की आजीविका का महत्वपूर्ण स्रोत है। यदि आप समुद्री जीव देखने का शौक रखते हैं तो चिल्का जाना न भूलें। यहां आपकों डॉलफिन देखना अवसर मिल सकता हैं।
क्या देखें:-
नौका विहार, मछली, घरेलू और प्रवासी पक्षी, डॉलफिन और जलीय जानवर
बोली जाने वाली भाषाएं:-
उड़िया, बंगाली, हिंदी और अंग्रेजी
कैसे पहुंचे:-
हवाई, रेल और सड़क मार्ग से आप चिल्का तक पहुंच सकते हैं। भुवनेश्वर निकटतम हवाईअड्डा है और निकटतम रेलवे स्टेशन रंभा और बारूगांव हैं। बारकुल व रंभा दोनों ही राष्ट्रीय राजमार्ग पांच पर स्थिर है। पुरी और कटक से आप बसें तथा टैक्सी ले सकते हैं।