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स्मरण शक्ति की प्रखरता से मनुष्य अधिक विचारशील समझा जाता है

कई लोगांे में प्रखर स्मृति जन्मजात रूप से पाई जाती है और वह इतनी तीक्ष्ण होती है कि दूसरे लोग चमत्कृत होते हैं और आश्चर्य में पड़ जाते हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 31 Aug 2016 09:39 AM (IST)Updated: Wed, 31 Aug 2016 09:42 AM (IST)
स्मरण शक्ति की प्रखरता से मनुष्य अधिक विचारशील समझा जाता है
स्मरण शक्ति की प्रखरता से मनुष्य अधिक विचारशील समझा जाता है

स्मरण शक्ति की प्रखरता से मनुष्य अधिक विचारशील समझा जाता है और उसके ज्ञान की परिधि अधिक व्यापक होती है। वहीं भुलक्कड़ लोग महत्वपूर्ण ज्ञान संचय से तो वंचित रहते ही हैं, साथ ही स्मरण शक्ति के अभाव में वे कई महत्वपूर्ण बातों को भूल जाते हैं। इस कारण उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है। कई लोगांे में प्रखर स्मृति जन्मजात रूप से पाई जाती है और वह इतनी तीक्ष्ण होती है कि दूसरे लोग चमत्कृत होते हैं और आश्चर्य में पड़ जाते हैं।
प्रखर स्मृति के अनेक उदाहरण संसार में देखने-सुनने को मिलते हैं। इतने पर भी यह नहीं समझा जाना चाहिए कि स्मरण रखने की विशिष्ट क्षमता कोई दैवीय वरदान या जन्मजात सौभाग्य होता है। हो सकता है, किन्हीं विरलों को यह अनायास ही प्राप्त हो गई हो, परंतु वह अन्य शारीरिक क्षमताओं के सदृश एक ऐसी सामथ्र्य है जिसे प्रयासपूर्वक आसानी से बढ़ाया जा सकता है। जिस बात पर अधिक ध्यान दिया जाता है वह स्वभावत: विकसित होने लगती है और जिसकी उपेक्षा की जाती है उसका घटना भी सुनिश्चित है। किसी प्रकरण का वर्षो तक दिमाग में बना रहना और किसी का कुछ ही दिनों में धूमिल हो जाना प्राय: इसी तथ्य पर आधारित होता है। ऐसा देखा गया है कि घटनाओं के प्रति यदि उदासीनता बरती जाए, उपेक्षा भाव रखा जाए, उन्हें महत्वहीन और निर्थक समझा जाए तो वे स्मृति पर देर तक टिकती नहीं। इसके विपरीत यदि उन्हें तन्मयता के साथ एकाग्र होकर देखने-समझने का प्रयास किया जाए तो उनकी छवि देर तक मस्तिष्क में बनी रहती है। अधिकांश महत्वपूर्ण घटनाएं व्यक्ति को आजीवन स्मरण रहती हैं, जबकि दूसरी विस्मृत हो जाती हैं।
घटनाओं को मात्र उनके कल्पनाचित्र के रूप में ही नहीं, बल्कि तात्पर्य और फलितार्थ को भी ध्यान में रखते हुए यदि मानसपटल पर जमाया जाए तो जल्दी याद भी हो जाएंगी और देर तक टिकाऊ भी बनी रहेंगी। जो उपयोगी जान पड़े, उन्हें गंभीरतापूर्वक समझने का प्रयास किया जाए। उन पर चित्त को एकाग्र किया जाए। कई-कई बार उन्हें मौन रूप से और वाणी से दोहराया जाए। जरूरी लगे तो नोट करके रखा जाए। ऐसा करते रहने से न केवल उपयोगी व आवश्यक तथ्य स्मृति में बने रहेंगे, बल्कि स्मरण-शक्ति भी अनायास ही इस प्रक्रिया में बढ़ती जाएगी, जो व्यक्ति को प्रतिभा-संपन्नों और विचारशीलों की श्रेणी में ला खड़ा करेगी।


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