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षष्ठं कात्यायनिति च

भगवती दुर्गा की नौ शक्तियों का छठां स्वरूप देवी कात्यायनी का है। देवी के इस स्वरूप का दर्शन-पूजन नवरात्र की षष्ठी तिथि तदनुसार 30 सितंबर (मंगलवार) को होगा। इनका मंदिर सिंधिया घाट क्षेत्र (संकठा मंदिर) के आत्मावीरेश्वर मंदिर परिसर में स्थित है। पद्मश्री प्रो. देवीप्रसाद द्विवेदी के अनुसार भगवती के छठें रूप का ध्यान करते हुए स्तव

By Edited By: Published: Tue, 30 Sep 2014 03:02 PM (IST)Updated: Fri, 20 Mar 2015 04:56 PM (IST)
षष्ठं कात्यायनिति च
षष्ठं कात्यायनिति च

वाराणसी। भगवती दुर्गा की नौ शक्तियों का छठां स्वरूप देवी कात्यायनी का है। देवी के इस स्वरूप का दर्शन-पूजन नवरात्र की षष्ठी तिथि तदनुसार 30 सितंबर (मंगलवार) को होगा। इनका मंदिर सिंधिया घाट क्षेत्र (संकठा मंदिर) के आत्मावीरेश्वर मंदिर परिसर में स्थित है।
पद्मश्री प्रो. देवीप्रसाद द्विवेदी के अनुसार भगवती के छठें रूप का ध्यान करते हुए स्तवन वंदन ध्यान मंत्र को पढ़ने के बाद निम्नलिखित मंत्र का जाप उपयुक्त माना गया है - 'ऊँ ऐं हीं क्लीं चामुंडाय विच्चै'। इस मंत्र को जपने का समय प्रात: या सूर्यास्त है। मुख पूर्व दिशा की ओर व आसन ऊन का होना चाहिए। भगवती की आराधना निम्नलिखित मंत्रों से भी की जाती है-'हुं हुं हुं हुंकाररूपिण्यै, जं जं जं जम्भनादिनी। भ्रां भ्रीं भ्रूं भैरवी भद्रे भावन्यै ते नमों नम:'। सूर्योदय से पूर्व इस मंत्र का 108 बार जप कर भगवती का ध्यान करना चाहिए। भगवती दुर्गा देवताओं का कार्य सिद्ध करने के लिए महर्षि कात्यायन के आश्रम में प्रकट हुईं। महर्षि ने उन्हें कन्या माना। इस कारण भगवती कत्यानी (कात्यायनी) नाम से विख्यात हुईं।
भगवती कात्यायनी का ध्यान करने से सांसारिक कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। वे महाभय से रक्षा करती हैं।


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