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मनुष्य एक विवेकशील प्राणी है

पशु और मनुष्य के मध्य कुछ महत्वपूर्ण मौलिक अंतर हैं। पशु का अर्थ है जो पाश में बंधा हो। पाश का अर्थ है बंधन, जो रस्सी में बंधा हो, जो जंजीर में बंधा हो। दूसरी ओर मनुष्य का अर्थ है जो मन के अधीन हो, मन वाला हो, जिसका मन

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2015 11:40 AM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2015 11:43 AM (IST)
मनुष्य एक विवेकशील प्राणी है
मनुष्य एक विवेकशील प्राणी है

पशु और मनुष्य के मध्य कुछ महत्वपूर्ण मौलिक अंतर हैं। पशु का अर्थ है जो पाश में बंधा हो। पाश का अर्थ है बंधन, जो रस्सी में बंधा हो, जो जंजीर में बंधा हो। दूसरी ओर मनुष्य का अर्थ है जो मन के अधीन हो, मन वाला हो, जिसका मन प्रबल हो उसे ही मनुष्य कहते हैं। पशु की तरह मनुष्य को पाश में बांधकर नहीं रखा जाता। मनुष्य स्वछंद स्वभाव का जीव होता है, उसे कोई बंधन स्वीकार नहीं होता। वह कभी भी किसी बंधन में रहना नहीं चाहता। बंधन का अर्थ है, जहां जीव की स्वतंत्रता नष्ट हो जाए। जीव का जो महत्व है, उसके होने का जो अर्थ है वह बाधित हो जाए। इस प्रकार के किसी व्यवधान को मनुष्य पसंद नहीं करता।
मनुष्य को एक विवेकशील प्राणी कहा गया है। वह अपने अच्छे-बुरे कार्य परिणामों से पूरी तरह परिचित होता है। उसे पता होता है कि कौन काम करना चाहिए और किस काम को करने से हमारा नुकसान हो सकता है। सच पूछा जाए तो विवेक मनुष्य की जाग्रत अवस्था का नाम है। जब मनुष्य पूरी तरह जाग्रत होता है, अपने अच्छे-बुरे कार्यो के परिणामों के प्रति सजग और सतर्क रहता है।
विवेकी होने का कारण मनुष्य अपने जीवन को समझ सकता है। जीवन को कैसे सुंदर से सुंदरतम बनाया जाए, इस जीवन को अधिक-से-अधिक क्रियात्मक कैसे बनाया जाए, उसे इस बात का ज्ञान होता है। उसे यह भी पता होता है कि हमारा शरीर बहुत ही महत्वपूर्ण है, यह परमात्मा की धरोहर है। हमें केवल एक ही अधिकार है कि इस जीवन का हम उपयोग करें और हमेशा आत्म-कल्याण के लिए सतत् प्रयत्नशील रहें। कोई ऐसी भूल न हो जाए जहां हमारा विवेक असहाय बनकर, आंख मुंदे खड़ा रह जाए और हम अपने आचरणों से अपने सोने जैसे शरीर को नष्ट करते रहें। हम विवेकशील प्राणी हैं और विवेकशील प्राणी आत्म-कल्याण और परमात्म चिंतन, संसार के प्रति स्नेह भाव, दूसरों को सम्मान की बात करता है। इसीलिए परमात्मा ने उसे विवेकशील प्राणी बनाया है। विवेक का अर्थ होता है, जो संसार के नैतिक नियमों का अनुसरण करे, अपने विचारों, कार्र्यो और संस्कारों से अपने चरित्र को इतना उत्कृष्ट बना ले, जिससे वह इस संसार में प्रशंसनीय और आदरणीय व्यक्ति बन जाए। आज भी ऐसे लोग हैं जिन्होंने अपने जीवन के एक-एक पल को नैतिक और प्रशंसनीय बना रखा है।


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