क्रोधी मनुष्य को लोग उसी तरह छोड़ देते हैं, जिस तरह सूखे पेड़ को पक्षी
क्रोध एक नकारात्मक भाव है। क्रोध हर व्यक्ति को आता है, किसी को कम तो किसी को ज्यादा। क्रोध पर नियंत्रण रखना बहुत जरूरी होता है।
क्रोध एक नकारात्मक भाव है। क्रोध हर व्यक्ति को आता है, किसी को कम तो किसी को ज्यादा। खासकर, वर्तमान की तनाव भरी जीवनशैली में क्रोध आने के कई कारण हो सकते हैं, लेकिन इस पर नियंत्रण रखना बहुत जरूरी होता है। अनियंत्रित होने पर क्रोध विनाशकारी हो जाता है और इसके हमेशा बुरे परिणाम सामने आते हैं। अत्यधिक क्रोध मनुष्य के जीवन को बुरी तरह से प्रभावित करता है। क्रोधी व्यक्ति कई तरह से न सिर्फ अपना नुकसान करता है, बल्कि उसके कार्यक्षेत्र और आपसी संबंधों में भी इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
क्रोधी मनुष्य को लोग उसी तरह छोड़ देते हैं, जिस तरह सूखे पेड़ को पक्षी। इसलिए क्रोध की आग उतनी ही जलाएं, जितना काबू में रख सकें। क्रोध मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन है। इसलिए कभी गुस्सा आए भी तो मनुष्य को इसे तुरंत शांत करना चाहिए। वरना क्रोध में की गई गलती के भयंकर परिणाम सामने आते हैं और तब मनुष्य के पास पछताने के अलावा कोई चारा नहीं होता है। इस स्थिति में उसे अपने क्रोध का कारण तुच्छ लगता है और उसे महसूस होता है कि उसने मूर्खता कर दी, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी होती है, क्योंकि क्रोध में उसे जो अनर्थ करना था, वह वो कर चुका होता है। जो व्यक्ति प्रसन्न रहता है और अपने मन को शांत रखता है उसे कभी क्रोध नहीं आता, लेकिन जैसे ही व्यक्ति के चेहरे से मुस्कुराहट और मन से शांति गायब हो जाती है। क्रोध उस पर हावी हो जाता है और इस कारण वह अमर्यादित कार्य करने लगता है।
क्रोध की चिंगारी ज्वाला बने उससे पहले ही उसे किसी भी तरह शांत कर देना चाहिए या उस पर नियंत्रण पा लेना चाहिए। नहीं तो ये ज्वाला स्वयं उस मनुष्य को ही भस्म कर देती है। क्रोध भी एक ऊर्जा है, इसलिए क्रोधी व्यक्ति का चेहरा लाल हो जाता है, लेकिन इस दौरान वह अपने मन-मस्तिष्क का पूरी तरह नियंत्रण खो देता है और गलत कार्य कर बैठता है। नि:संदेह क्रोध को दबाया जा सकता है या फिर उसे अन्य दिशा दी जा सकती है। जब हमें क्रोध आता है तो हम तुरंत उसे व्यक्त करने लगते हैं, लेकिन यदि हम कुछ देर कोई प्रतिक्रिया न करें तो हमें कोई कारण नजर नहीं आएगा। तर्क क्रोध को कम करता है, इसलिए जब कभी आपको क्रोध आए, आप उसे तुरंत व्यक्त करने की बजाय स्वयं से तर्क करें। जो अपने क्रोध पर नियंत्रण कर लेता है, उसे बुद्धिमान कहा जाता है।