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अकेला व्यक्ति निर्बल नहीं, बल्कि शक्तिशाली होता है

प्रतिदिन सचेतन एकाकीपन का अभ्यास करें। अपने साथ, सिर्फ अपने साथ रहना सीखें। प्रकृति के साथ चलें। सितारों को निहारें।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 25 Jul 2016 02:23 PM (IST)Updated: Tue, 26 Jul 2016 10:35 AM (IST)
अकेला व्यक्ति निर्बल नहीं, बल्कि शक्तिशाली होता है
अकेला व्यक्ति निर्बल नहीं, बल्कि शक्तिशाली होता है

अकेले व्यक्ति को कमजोर समझा जाता है, जबकि वास्तविक जीवन में वही व्यक्ति सफल होता है, जो अकेला चलने में विश्वास रखता है। अकेले चलने का साहस वे व्यक्ति करते हैं जो जोखिम और मुसीबतों का सामना करने से नहीं घबराते। अधिकतर लोग बने-बनाए रास्तों पर भीड़ के साथ चलना पसंद करते हैं। यही कारण है कि वे लोग कुछ नया नहीं कर पाते। सुप्रसिद्ध लेखक संतोष नायर कहते हैं, ‘जब भी आप कुछ नया और बेहतर कर रहे होते हैं, आप अकेले होते हैं। एकाकी होना ही आपकी विशिष्टता है।’ अकेले व्यक्ति का अक्सर मजाक उड़ाया जाता है, ताने मारे जाते हैं, उसकी हंसी उड़ाई जाती है।
इन बातों से सामान्य व्यक्ति घबराकर अपना रास्ता बदल देते हैं। वहीं जो व्यक्ति लोगों के मजाक, तानों और व्यंग्य की परवाह न करते हुए आगे बढ़ते चलते हैं, वही इतिहास रच देते हैं। यह बात तो व्यक्ति के मस्तिष्क में आनी ही नहीं चाहिए कि यदि वह किसी कार्य को करने का प्रयास अकेले करेगा तो असफल हो जाएगा। व्यक्ति का जन्म अकेले होता है, वह हंसता अकेले है, रोता अकेले है, अकेले ही उसके व्यक्तित्व का शारीरिक और मानसिक विकास होता है, यहां तक कि अंतिम समय में मृत्यु को गले भी अकेले ही लगाना होता है। व्यक्ति के अंदर नवीन विचार व आविष्कार की अवधारणा अकेलेपन में ही उत्पन्न होती है। यही कारण है कि अक्सर वैज्ञानिक, लेखक और बुद्धिजीवी भी अकेले कमरे और एकांत में ही अपने कार्य और लेखन करना पसंद करते हैं।
अकेला व्यक्ति निर्बल नहीं, बल्कि शक्तिशाली होता है। निर्बल व्यक्ति तो अकेले दम पर किसी भी कार्य को करने का साहस ही नहीं जुटा पाता, जबकि समझदार और साहसी व्यक्ति उस काम को अकेले करने का बीड़ा उठाता है, जिसके प्रति वह जान जाता है कि उसके पूरे होने पर समाज, देश और विश्व का कल्याण होगा। अकेले सच्चाई और साहस के साथ किए गए कार्य सफल होते हैं। आध्यत्मिक गुरु टीटी रंगराजन कहते हैं कि प्रतिदिन सचेतन एकाकीपन का अभ्यास करें। अपने साथ, सिर्फ अपने साथ रहना सीखें। प्रकृति के साथ चलें। सितारों को निहारें। पार्क में बैठकर आसपास होने वाली गतिविधियों का अभ्यास करें। ऐसा करने से जहां मन को संतुष्टि मिलेगी, वहीं आपके अंदर अकेले न सिर्फ सच्चाई का सामना करने का साहस उत्पन्न हो जाएगा, बल्कि बुराई से लड़ने की ताकत भी उत्पन्न हो जाएगी।


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