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किसी बड़े संकट से कैसे बचे

जब भी हम पर संकट पड़े, तब हमें यह समझना चाहिए कि इसके कारण हम किसी बड़े संकट से बच गए हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 20 May 2015 11:06 AM (IST)Updated: Wed, 20 May 2015 11:13 AM (IST)
किसी बड़े संकट से कैसे  बचे
किसी बड़े संकट से कैसे बचे

समुद्र के किनारे मछुआरों का एक गांव था। एक शाम सभी मछुआरे अपनी-अपनी नावें लेकर मछली पकड़ने के लिए गहरे समुद्र में चले गए। जब रात गहराने लगी तब एक शक्तिशाली तूफान आ गया। मछुआरों की नावें अपना रास्ता भटक गईं और समुद्र में यहां-वहां बिखर गईं। उधर, गांव में मछुआरों की पत्नियां, मां और उनके बच्चे समुद्र तट पर आ गए और ईश्वर से उनके परिजनों को बचाने के लिए प्रार्थना करने लगे। वे सभी बड़े दुखी थे और रो रहे थे। तभी एक दूसरा संकट आ पड़ा। एक मछुआरे की झोपड़ी में आग लग गई। चूंकि गांव के सभी पुरुष मछली पकड़ने गए थे और महिलाएं समुद्र तट पर थीं, इसलिए कोई भी आग नहीं बुझा पाया। जब सुबह हुई, तो सबकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा, क्योंकि मछुआरों की नावें सुरक्षित तट पर लग गई थीं। कोई भी दुखी नहीं था। पर, जिस मछुआरे के घर में आग लग गई थी, उसकी पत्नी ने अपने पति से मिलने पर उससे रोते हुए कहा, ‘हम बर्बाद हो गए, हमारा घर और सारा सामान आग में जलकर राख हो गया। उसका पति हंसकर बोला, ‘ईश्वर को उस आग के लिए धन्यवाद दो। रात में जलती हुई झोपड़ी को देखकर ही तो हम अपनी नावें किनारे पर लगा पाए।’

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कथा-मर्म : जब भी हम पर संकट पड़े, तब हमें यह समझना चाहिए कि इसके कारण हम किसी बड़े संकट से बच गए हैं।



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