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क्यों, यहां के लोग मंदिर नहीं जाते बल्कि पूरे शरीर पर लिखवाते है राम नाम

रामनामी लोगों के घरों की दीवारों पर राम-राम लिखा होता है। इस समाज के लोगों में राम-राम लिखे कपड़े पहनने का भी चलन है, और ये लोग आपस में एक-दूसरे को राम-राम के नाम से ही पुकारते हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 26 Apr 2016 02:26 PM (IST)Updated: Wed, 27 Apr 2016 09:04 AM (IST)
क्यों, यहां के लोग मंदिर नहीं जाते बल्कि पूरे शरीर पर लिखवाते है राम नाम

यूं तो भारत को विविधताओं वाला देश कहा जाता है, यहां कि कुछ प्रथा व परंपरा ऐसी है जो हमें अचंभे में डाल देती है।यहां हर धर्म के लोग और हर धर्म का अलग-अलग स्वरुप देखने को मिलता है। भारत में एक ऐसा ही राज्य है छत्तीसगढ़ जहां एक अनोखी परंपरा है जिसे 'रामनामी' के नाम से जाना जाता है।

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यहां 100 सालों से भी ज्यादा लंबे वक्त से छत्तीसगढ़ की रामनामी समाज में एक अनोखी परंपरा चली आ रही है। इस समाज के लोग पूरे शरीर पर राम नाम का टैटू बनवाते हैं, लेकिन न मंदिर जाते हैं और न ही मूर्ति पूजा करते हैं। इस तरह के टैटू को लोकल लैंग्वेज में गोदना कहा जाता है। दरअसल, इसे भगवान की भक्ति के साथ ही सामाजिक बगावत के तौर पर भी देखा जाता है। टैटू बनवाने के पीछे है इनकी बगावत की कहानी।

कहा जाता है कि 100 साल पहले गांव में हिन्दुओं के ऊंची जाति के लोगों ने इस समाज को मंदिर में घुसने से मना कर दिया था। इसके बाद से ही इन्होंने विरोध करने के लिए चेहरे सहित पूरे शरीर में राम नाम का टैटू बनवाना शुरू कर दिया। लोगों का मानना है कि, रामनामी समाज को रमरमिहा के नाम से भी जाना जाता है। कई लोग इस परंपरा को पिछले 50 सालों से निभा रहे हैं। वहां के लोग बताते हैं, जिस दिन मैंने ये टैटू बनवाया, उस दिन मेरा नया जन्म हो गया। 50 साल बाद उनके शरीर पर बने टैटू कुछ धुंधले से हो चुके हैं, लेकिन उनके इस विश्वास में कोई कमी नहीं आई है। रामनामी जाति के लोगों की आबादी तकरीबन एक लाख है और छत्तीसगढ़ के चार जिलों में इनकी संख्या ज्यादा है। सभी में टैटू बनवाना एक आम बात है।

इस समाज में पैदा हुए लोगों को शरीर के कुछ हिस्सों में टैटू बनवाना जरूरी है। खासतौर पर छाती पर और दो साल का होने से पहले। टैटू बनवाने वाले लोगों को शराब पीने की मनाही के साथ ही रोजाना राम नाम बोलना भी जरूरी है। ज्यादातर रामनामी लोगों के घरों की दीवारों पर राम-राम लिखा होता है। इस समाज के लोगों में राम-राम लिखे कपड़े पहनने का भी चलन है, और ये लोग आपस में एक-दूसरे को राम-राम के नाम से ही पुकारते हैं।

नखशिख राम-राम लिखवाने वालों ने बताया कि रामनामियों की पहचान राम-राम का गुदना गुदवाने के तरीके के मुताबिक की जाती है। शरीर के किसी भी हिस्से में राम-राम लिखवाने वाले रामनामी। माथे पर राम नाम लिखवाने वाले को शिरोमणि। और पूरे माथे पर राम नाम लिखवाने वाले को सर्वांग रामनामी और पूरे शरीर पर राम नाम लिखवाने वाले को नखशिख रामनामी कहा जाता है।

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