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क्‍या होता है शुभ या अशुभ या ये सिर्फ अंधविश्वास है

कोई वस्तु शुभ या अशुभ नहीं होती ,शुभ-अशुभ के अंधविश्वास से निकलकर हमें हर वस्तु की उपयोगिता परखनी चाहिए...

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 02 Sep 2016 10:11 AM (IST)Updated: Fri, 02 Sep 2016 10:16 AM (IST)
क्‍या होता है शुभ या अशुभ या ये सिर्फ अंधविश्वास है

कोई वस्तु शुभ या अशुभ नहीं होती ,शुभ-अशुभ के अंधविश्वास से निकलकर हमें हर वस्तु की उपयोगिता परखनी चाहिए...

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बचपन से हम सुनते आए हैं कि घर में अमुक वस्तुएं रखना शुभ होता है और अमुक रखना अशुभ होता है। किसी चीज से घर के सदस्यों के बीच में प्यार बढ़ने का दावा किया जाता है तो किसी चीज से तकरार बढ़ने का। किसी से घर में सुख-समृद्धि का आगमन बताया जाता है तो किसी से अभाव का। लेकिन सही बात यह है कि ये बातें सिर्फ अंधविश्वास हैं, क्योंकि इन बातों में तार्किकता का अभाव है।

वास्तव में कोई भी चीज शुभ या अशुभ नहीं होती। किसी भी वस्तु को शुभ या अशुभ बनाता है उसका उपयोग। सीधी-सी बात है कि यदि किसी वस्तु के इस्तेमाल का परिणाम अच्छा है, तो वह वस्तु शुभ और परिणाम अच्छा नहीं है तो अशुभ होगी। चाकू को ही लीजिए। घर में रोजमर्रा के कामों में उसकी उपयोगिता व महत्व को नकारा नहीं जा सकता। एक सर्जन सर्जिकल नाइफ से ही ऑपरेशन कर मरीज की जान बचाता है। अत: एक डॉक्टर के हाथ का चाकू उपयोगी व अनिवार्य होने के कारण वह चाकू शुभ ही माना जाएगा, लेकिन यदि किसी चाकू का इस्तेमाल किसी व्यक्ति की हत्या करने जैसे कार्य के लिए किया जाता है, तो वह चाकू का दुरुपयोग है। अत: वह चाकू अशुभ माना जाना चाहिए। किसी चीज का सदुपयोग अथवा दुरुपयोग ही उसे शुभ या अशुभ बनाता है।

शुभ या अशुभ का आधार इस्तेमाल की जाने वाली चीज की उपयागिता भी हो सकता है। जिस वस्तु का कोई

उपयोग ही न हो वह कैसी शुभ या अशुभ? हां, कुछ कलाकृतियां हो सकती हैं, जिनका वैसे तो कोई उपयोग नहीं

होता, लेकिन कला की दृष्टि से वे मूल्यवान हो सकती हैं। लेकिन कोई भी कलाकृति सुंदर या आकर्षक अथवा

बहुमूल्य या अल्पमूल्य हो सकती है, शुभ या अशुभ नहीं।

एक व्यक्ति बाजार में घूम-घूम कर एक मूर्ति बेच रहा था और कह रहा था कि यह मूर्ति स्वयं जमीन से प्रकट

हुई है और बहुत शुभ है। जो भी इसे अपने घर में स्थापित करेगा, उसके घर में हर प्रकार की समृद्धि में वृद्धि होगी।

एक व्यक्ति ने उस मूर्ति के दाम पूछे। बेचने वाले ने कहा, ‘दस हजार रुपये।’ पूछने वाले ने कहा, ‘ऐसी मूर्तियां तो

एक हजार रुपये में मिल जाती हैं, दस गुने दाम मैं क्यों दूं? जहां तक समृद्धि की बात है तो आप स्वयं क्यों नहीं इसे अपने घर में स्थापित कर लेते? यहां सड़कों पर क्यों मारे-मारे फिर रहे हैं और लोगों को ठग रहे हैं?’हमें शुभ-अशुभ के चक्र में मूर्ख नहीं बनना चाहिए। अपनी व्यावहारिक बुद्धि का इस्तेमाल करके चीजों की उपयोगिता

पर भी विचार अवश्य कर लेना चाहिए।


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