विष्णुचरण चिन्ह में वेदियां सन्निहित
आश्रि्वन कृष्ण पंचमी 13 सितम्बर शनिवार है। 17 दिवसीय गया श्राद्ध का छठा दिन। भरणी नक्षत्र का योग होने से आज का श्राद्ध विशेष फलदायक है। विष्णुपद वेदी, रूद्रपद वेदी एवं ब्रहम पद वेदी- इन तीन वेदियों पर आज का श्राद्ध होता है। विष्णुचरण चिन्ह में ही तीनों वेदियां सन्निहित है। उक्त
गया। आश्रि्वन कृष्ण पंचमी 13 सितम्बर शनिवार है। 17 दिवसीय गया श्राद्ध का छठा दिन। भरणी नक्षत्र का योग होने से आज का श्राद्ध विशेष फलदायक है।
विष्णुपद वेदी, रूद्रपद वेदी एवं ब्रहम पद वेदी- इन तीन वेदियों पर आज का श्राद्ध होता है। विष्णुचरण चिन्ह में ही तीनों वेदियां सन्निहित है। उक्त तीनों श्राद्ध मंदिर प्रांगण में होता है। श्राद्ध के बाद मंदिर में महालक्ष्मी दर्शन एवं विश्व देव दर्शन करके मंदिर के बाहर गरूड़ जी का दर्शन किया जाता है। उक्त दर्शन एवं नमस्कार पितृ उद्धारक है। ये दर्शनीय वेदियां 360 वेदियों की गिनती में आती है। उक्त चरण चिन्ह उत्तरमुख स्थित आदि गदाधर विष्णु का दायां चरण है। यह धर्मशिला पर अंकित है।
मरीचि ऋषि की पत्नी धर्मव्रता अपने पति के शाप से शिला बन गयी थी। यह शिला गय असुर के सिर पर स्थित है। यहां परम पवित्र गय असुर का सिर, उसके उपर अत्यंत पावन धर्म शिला तथा धर्म शिला पर मुक्ति दायक विष्णु चरण है। तीनों के संयोग स्थल पर भीष्म पितामह ने पिंडदान करके अपने पिता शान्तनु को मोक्ष प्राप्त कराया था।
पिंड लेने के लिए प्रत्यक्ष होकर पिता ने हाथ बढ़ाया किन्तु भीष्म ने हाथ में पिंड नहीं दिया। हाथ में पिंड देने पर उन्हें स्वर्ग होता। किन्तु मोक्ष नहीं। विष्णु चरण में समाहित रूद्र पद वेदी पर भगवान श्री राम ने पिंडदान किया था। उनके पिता दशरथ को रूद्र लोक प्राप्त हुआ था। विष्णु चरण में कल्पित ब्रहृम पद पर पिंडदान से पितर ब्रहम लोक जाते हैं।