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तभी आपको मोक्ष यानी स्वर्ग लोक की प्राप्ति होगी

भारतीय वैदिक वांगमय के अनुसार प्रत्येक मनुष्य पर इस धरती पर जीवन लेने के पश्चात तीन प्रकार के ऋण होते हैं- देव ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण। पितृ पक्ष के श्राद्ध यानी 16 श्राद्ध साल के ऐसे सुनहरे दिन हैं, जिनमें व्यक्ति श्राद्ध प्रक्रिया में शामिल होकर उपरोक्त तीनों

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 10 Oct 2015 02:38 PM (IST)Updated: Sat, 10 Oct 2015 02:47 PM (IST)
तभी आपको मोक्ष यानी स्वर्ग लोक की प्राप्ति होगी

भारतीय वैदिक वांगमय के अनुसार प्रत्येक मनुष्य पर इस धरती पर जीवन लेने के पश्चात तीन प्रकार के ऋण होते हैं- देव ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण। पितृ पक्ष के श्राद्ध यानी 16 श्राद्ध साल के ऐसे सुनहरे दिन हैं, जिनमें व्यक्ति श्राद्ध प्रक्रिया में शामिल होकर उपरोक्त तीनों ऋणों से मुक्त हो सकता है क्योंकि कहा जाता है इन ऋणों से उऋण होना बहुत जरूरी है।

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कर्ण को भी चुकाना पड़ा था पितृ ऋण

महाभारत के प्रसंग के अनुसार मृत्यु के उपरांत कर्ण को चित्रगुप्त ने मोक्ष देने से इंकार कर दिया था। तब कर्ण ने कहा कि- मैंने तो अपनी सारी सम्पदा सदैव दान-पुण्य में ही समर्पित की है, फिर मेरे ऊपर यह कैसा ऋण बचा हुआ है? चित्रगुप्त ने जवाब दिया कि- राजन, आपने देव ऋण और ऋषि ऋण तो चुका दिया है, लेकिन आपके ऊपर अभी पितृऋण बाकी है।

जब तक आप इस ऋण से मुक्त नहीं होंगे, तब तक आपको मोक्ष मिलना कठिन होगा। इसके उपरांत धर्मराज ने कर्ण को यह सुविधा दी कि आप 16 दिन के लिए पुन: पृथ्वी पर जाइए और अपने ज्ञात और अज्ञात पितरों का श्राद्ध-तर्पण तथा पिंडदान विधिवत करके आइए। तभी आपको मोक्ष यानी स्वर्ग लोक की प्राप्ति होगी।


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