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इस तरह सुंदरकांड का पाठ हर प्रकार की बाधा और परेशानियों को खत्म करता है

सुंदरकांड का पाठ हर प्रकार की बाधा और परेशानियों को खत्म कर देने में समर्थ है। सुंदरकांड का पाठ एक अचूक उपाय है संयम के साथ दीर्घकाल तक करते रहने से उसके प्रभाव दिखाई देने लगते हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 31 Oct 2016 02:32 PM (IST)Updated: Tue, 01 Nov 2016 10:55 AM (IST)

‘सुंदरकांड’ ‘श्री रामचरित मानस’ का पंचम सोपान है। रामचरित मानस महर्षि वाल्मिकी द्वारा रचित ‘रामायण’ पर आधारित महाकाव्य है। महर्षि वाल्मिकी ने रामायण संस्कृत में लिखी थी जिससे आम आदमी तक सीधे उसकी पंहुच नहीं थी लेकिन तुलसीदास ने तत्कालीन आम बोलचाल की भाषा अवधी में इसकी रचना कर रामायण को घर-घर पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। लोगों की ज़बान पर मानस चढ़ने का एक कारण यह भी था कि आम बोलचाल की भाषा में होने के साथ-साथ इसमें गेयता है, एक लय है, एक गति है। वैसे तो रामचरित मानस में तुलसीदास ने प्रभु श्री राम के जीवन चरित का वर्णन किया है और पूरे मानस के नायक मर्यादापुरुषोत्तम भगवान श्री राम ही हैं। लेकिन सुंदरकांड में रामदूत, पवनपुत्र हनुमान का यशोगान किया गया है। इसलिये सुंदरकांड के नायक श्री हनुमान हैं।

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सुंदरकांड का नित्यप्रति पाठ करना हर प्रकार से लाभदायक होता है। इसके अनंत लाभ हैं, लेकिन यह पाठ तभी फलदायी होता है, जब निर्धारित विधि-विधानों का पालन किया जाए।

सुंदरकांड का पाठ करने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। पाठ स्नान और स्वच्छ वस्त्र धारण करके करना चाहिए। सुंदरकांड का पाठ सुबह या शाम के चार बजे के बाद करें, दोपहर में 12 बजे के बाद पाठ न करें। पाठ करने से पहले चौकी पर हनुमानजी की फोटो अथवा मूर्ति रखें। घी का दीया जलाएं। भोग के लिए फल, गुड़-चना, लड्डू या कोई भी मिष्ठान अर्पित करें। पाठ के बीच में न उठें, न ही किसी से बोलें। सुंदरकांड प्रारंभ करने के पहले हनुमानजी व भगवान रामचंद्र जी का आवाहन जरूर करें। जब सुंदरकांड समाप्त हो जाए, तो भगवान को भोग लगाकर, आरती करें। तत्पश्चात उनकी विदाई भी करें।

विदाई

कथा विसर्जन होत है, सुनो वीर हनुमान,

जो जन जंह से आए हैं, ते तह करो पयान।

श्रोता सब आश्रम गए, शंभू गए कैलाश।

रामायण मम हृदय मह, सदा करहु तुम वास।

रामायण जसु पावन, गावहिं सुनहिं जे लोग।

राम भगति दृढ़ पावहिं, बिन विराग जपयोग।।

आप जब तक सुंदरकांड का पाठ करें, मांस-मदिरा का सेवन न करें। बह्मचर्य की स्थिति में रहें।

पाठ से विविध लाभ

सुंदरकांड का पाठ हर प्रकार की बाधा और परेशानियों को खत्म कर देने में समर्थ है। ज्योतिष के अनुसार भी सुंदरकांड एक अचूक उपाय है। इसका पाठ उन लोगों के लिए विशेष फलदायी होता है, जिनकी जन्मकुंडली में मंगल नीच का है, पाप ग्रहों से पीडि़त है, पाप ग्रहों से युक्त है या उनकी दृष्टि से दूषित हो रहा है। मंगल में अगर बल बहुत कमजोर हो, जातक के शरीर में रक्त विकार हो,आत्मविश्वास की बहुत कमी हो तथा यदि मंगल बहुत ही क्रूर हो, तो सुंदरकांड का पाठ राहत देता है। शनि की साढे़साती या ढैय्या में सुंदरकांड का पाठ परेशानियों को कम करता है। इसका पाठ करने से विद्यार्थियों को विशेष लाभ मिलता है। यह आत्मविश्वास में बढ़ोतरी करता है। इससे परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त होते हैं, बुद्धि कुशाग्र होती है। सुंदरकांड का पाठ मन को शांति और सुकून देता है। मानसिक परेशानियों और व्याधियों से यह छुटकारा प्रदान करता है। जिन लोगों के गृह में क्लेश है, उनको इसका पाठ अवश्य करना चाहिए। अगर घर का मुखिया इसका पाठ घर में रोज करता है, तो घर का वातावरण अच्छा रहता है। यह नकारात्मक शक्ति को दूर करने का अचूक उपाय है। जिनको बुरे सपने आते हों, रात को अनावश्यक डर लगता हो, उनको इसके पाठ से निश्चित रूप से आराम मिलता है। इसके पाठ से परिवार में संस्कार बने रहते हैं। भूत-प्रेत की छाया भी इसके पाठ से स्वतः ही दूर हो जाती है। घर के सदस्यों की रक्षा के लिए भी सुंदरकांड का पाठ बहुत लाभकारी है। सुंदरकांड का पाठ कर्ज के दलदल से निकालता है। मुकदमेबाजी में उलझे व्यक्ति यदि सुंदरकांड का पाठ करते हैं, तो उन्हें विजय मिलती है। सुंदरकांड के पाठ से व्यापार में आने वाली विघ्न-बाधाएं धीरे-धीरे कम होने लगती हैं। सुंदरकांड का पाठ संयम के साथ दीर्घकाल तक करते रहने से उसके प्रभाव दिखाई देने लगते हैं। पाठ करते समय मन में श्रद्धा भाव रखें।


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