अभ्यास की नियमितता
एक दिन पृथ्वी, हवा और वर्षा एक बड़ी चत्रन से बातें कर रहे थे। चत्रन ने कहा, 'तुम सब एक साथ मिल जाओ, तब भी तुम मेरा मुकाबला नहीं कर सकतीं।Ó तीनों इस बात पर सहमत थीं कि चत्रन बहुत मजबूत है, पर वर्षा इस बात पर सहमत नहीं थी
एक दिन पृथ्वी, हवा और वर्षा एक बड़ी चत्रन से बातें कर रहे थे। चत्रन ने कहा, 'तुम सब एक साथ मिल जाओ, तब भी तुम मेरा मुकाबला नहीं कर सकतीं।Ó
तीनों इस बात पर सहमत थीं कि चत्रन बहुत मजबूत है, पर वर्षा इस बात पर सहमत नहीं थी कि वह उसका मुकाबला नहीं कर सकती। उसने कहा, 'तुम मजबूत हो, यह मैं जानती हूं, लेकिन मैं भी कमजोर नहीं।Ó चत्रन के साथ-साथ पृथ्वी और हवा भी वर्षा पर हंसने लगीं। हवा बोली- तुम तो पानी की बूंदें हो, चत्रन का मुकाबला कैसे करोगी?
वर्षा ने कहा, देखो, मैं क्या कर सकती हूं। यह कहकर वह तेज गति से बरसने लगी। कई दिन बरसने पर भी चत्रन का बाल बांका न हुआ। पृथ्वी ने कहा, तुम चत्रन पर कई दिनों से बरस रही हो, कुछ नहीं हुआ।Ó वर्षा ने कहा, 'थोड़ा धैर्य रखो।Ó
वर्षा चत्रन पर लगातार बरसती रही। दो वर्ष बाद हवा और पृथ्वी चत्रन से मिलने पहुंचीं। देखा, चत्रन बीच से कट गई है। सचमुच, वर्षा की छोटी-छोटी बूंदों ने चत्रन के अंदर छेद कर दिया था। हवा और पृथ्वी आश्चर्य करने लगीं, तभी वहां वर्षा आ गई। उसने कहा, 'यह छेद चत्रन को हिंसक रूप से काटकर नहीं बनाया गया, बल्कि यह चत्रन पर मेरे लगातार, नियमित रूप से गिरने से बना है।Ó
कथा-मर्म : कठिन से कठिन लक्ष्य पाने के लिए अभ्यास की निरंतरता आवश्यक है।
संत राजिन्दर सिंह