मोक्ष कामना का पर्व मोक्षदा एकादशी
मोक्ष नगरी काशी दो दिसंबर को मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती मनाएगी। स्कंद पुराण में कहा गया है कि 'काश्याम मरणाम् मुक्ति...Ó अर्थात काशी में मृत्यु होने पर मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी अर्थात मोक्षदा एकादशी पर व्रत करने से काशी की सीमा से बाहर भी
वाराणसी। मोक्ष नगरी काशी दो दिसंबर को मोक्षदा एकादशी और गीता जयंती मनाएगी। स्कंद पुराण में कहा गया है कि 'काश्याम मरणाम् मुक्ति...Ó अर्थात काशी में मृत्यु होने पर मोक्ष की प्राप्ति हो जाती है। मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी अर्थात मोक्षदा एकादशी पर व्रत करने से काशी की सीमा से बाहर भी श्रद्धालु को मोक्ष मुक्ति मिल जाती है। इसी दिन गीता जयंती भी मनाई जाती है।
ज्योतिषाचार्य पं. ऋषि द्विवेदी के अनुसार सनातनी परंपरा में अगहन शुक्ल एकादशी को मोह का क्षय करने वाला माना जाता है। इसे मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस दिन प्रात: नित्य क्रिया से निवृत्त होकर पवित्र नदी या सरोवर में स्नान कर संकल्प लेकर व्रत करना चाहिए। मान्यता है कि महाभारत युद्ध में अर्जुन का मोह भंग करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश दिया था। अत: इस दिन गीता, श्रीकृष्ण, व्यास आदि का विधिवत पूजन कर गीता जयंती उत्सव मनाना चाहिए। दिन भर व्रत करके गीता पाठ या श्रवण करने से
मोक्ष प्राप्ति होती है।
माना जाता है कि प्रभु श्रीकृष्ण के विग्रह के समक्ष गीता रख कर विधिवत भगवान और गीता का पूजन करने से अमोघ फल की प्राप्ति होती है। इस बार एकादशी तिथि एक दिसंबर की रात 11.30 बजे लग रही है जो दो दिसंबर को रात 9.32 तक रहेगी। अर्थात मोक्षदा एकादशी व गीता जयंती दो दिसंबर को मनाई जाएगी।