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ज्ञान का घड़ा

ज्ञान को किसी मटके में बांधकर नहीं रखा जा सकता। ज्ञानी होने का अभिमान करना सबसे बड़ी मूर्खता है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 12 Nov 2014 09:27 AM (IST)Updated: Wed, 12 Nov 2014 09:32 AM (IST)
ज्ञान का घड़ा

यह अफ्रीकी लोककथा है। एक व्यक्ति उस इलाके का सबसे ज्ञानी मनुष्य था। सारा ज्ञान सिर्फ उसके ही पास था। सभी लोग उससे सलाह लेने आते थे। उसका मानना था कि उसके ज्ञान देने से ही वहां के लोग समझदार हो पा रहे हैं। इसी अहंकार में उसने सोचा कि मैं लोगों को बेवजह ज्ञान क्यों दूं। फिर लोग मुझे कुछ समझेंगे ही नहीं। उसने तय किया कि वह सारा ज्ञान हमेशा के लिए छिपा देगा, ताकि कोई ज्ञानी न बन सके। उसने सारा ज्ञान बटोर कर एक घड़े में भर लिया। वह उसे ऐसी जगह रखना चाहता था, जहां किसी की नजर न पड़ सके। उसका बेटा समझ गया था कि पिता जी कोई गोपनीय काम कर रहे हैं, उत्सुकता में वह उनके पीछे लग गया। उसने देखा कि पिता जी एक घड़ा लेकर दबे पांव घर से बाहर जा रहे हैं।

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दूर पहुंचकर उस व्यक्ति ने एक बहुत ऊंचा पेड़ खोज लिया। अपने ज्ञान से उसे इतनी आसक्ति थी कि वह उसे अपने नजरों के सामने ही सुरक्षित पेड़ के शिखर पर छिपाना चाहता था, इसलिए उसने पेड़ पर चढ़ते समय अपने सीने पर मटके को बांध लिया। सीने पर मटका होने के कारण पेड़ पर चढ़ना मुश्किल हो गया। सामने मटका होने के कारण वह पेड़ को पकड़ ही न पा रहा था। बेटा पिता को प्रयास करते हुए देखता रहा। आखिरकार वह बोल पड़ा -पिताजी, मटके को अपनी पीठ पर टांगेंगे, तभी आप पेड़ पर चढ़ पाएंगे। वह व्यक्ति आश्चर्यचकित हो गया। बोला - मुझे तो लगता था कि मैंने दुनिया का सारा ज्ञान इस मटके में बंद कर लिया है, लेकिन तुम्हारे पास तो मुझसे भी ज्यादा ज्ञान है। इस बात पर गुस्से में उसने मटका जमीन पर पटक दिया। जमीन पर गिरते ही मटका टूट गया और उसमें बंद सारा ज्ञान मनुष्यों में फैल गया।

कथा-मर्म : ज्ञान को किसी मटके में बांधकर नहीं रखा जा सकता। ज्ञानी होने का अभिमान करना सबसे बड़ी मूर्खता है।


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