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इच्छाशक्ति से मिलेगी बुरी आदतों से निजात : राजयोगी ब्रह्मकुमार निकुंजजी

आदतों का निर्माण तब होता है, जब हम एक ही प्रक्रिया को बार-बार दोहराते हैं। यह बार-बार दोहराने का सिलसिला आखिरकार आदत बनकर हमारे स्वभाव का हिस्सा बन जाता है।

By prabhapunj.mishraEdited By: Published: Sat, 10 Jun 2017 05:32 PM (IST)Updated: Mon, 19 Jun 2017 01:56 PM (IST)
इच्छाशक्ति से मिलेगी बुरी आदतों से निजात : राजयोगी ब्रह्मकुमार निकुंजजी
इच्छाशक्ति से मिलेगी बुरी आदतों से निजात : राजयोगी ब्रह्मकुमार निकुंजजी

आदतें मनुष्य जीवन का एक अभिन्न पहलू हैं

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दुनिया में ऐसा कोई भी मनुष्य नहीं होगा, जिसके अंदर कोई आदत न हो क्योंकि आदतें मनुष्य जीवन का एक अभिन्न पहलू हैं। जो हर पल व्यक्ति के स्वभाव में शामिल रहती हैं। मनोचिकित्सकों के अनुसार प्रत्येक मनुष्य अपनी आदतों के अनुसार ही चिंतन करता है, इच्छाएं संजोता है और दूसरों के साथ व्यवहार करता है। यदि हम आदत के शब्दकोश अर्थ को देखें तो उसमें यह बताया गया है कि ऐसा कुछ जो आप अक्सर और नियमित रूप से करते हैं, कभी-कभी यह न जानते हुए कि आप यह कर रहे हैं। उसे आदत कहते हैं। यदि सरल भाषा में इसे परिभाषित करने जाएं तो आदतों को अनैच्छिक कार्यों के रूप में वर्णित कर सकते हैं क्योंकि वह एक तरह का स्वचालित व्यवहार है। मसलन जब हम किसी व्यक्ति से पूछते हैं कि आप इतना जोर से क्यों बोलते हो कि आस-पास का माहौल ही अशांत हो जाता है। तो वह कहेगा मेरी पहले से आदत है। ऐसा कहकर वह यह कहना चाहता है कि वह जानबूझकर या सोच-समझकर ऐसा नहीं करता परंतु स्वाभाविक ही उससे हो जाता है।

व्यवहार का निर्माण हमारी आदतों से होता है

व्यवहार वैज्ञानिकों के अनुसार हमारे अंदर आदतों का निर्माण तब होता है, जब हम एक ही प्रक्रिया को बार-बार दोहराते हैं। यह बार-बार दोहराने का सिलसिला आखिरकार आदत बनकर हमारे स्वभाव का हिस्सा बन जाता है। वास्तव में आदत, बिजली की शक्ति के समान इतनी तेज और शक्तिशाली होती है कि वह मनुष्य को एक खिलौना बना देती है और उसी के आधार पर उसके भविष्य का निर्माण होता है। यही वजह है कि प्रत्येक मनुष्य को अपनी आदत के समान मित्र, साधन, विचार और अवसर प्राप्त होते रहते हैं और इसीलिए एक सी आदत वालों में स्वाभाविक प्रेम और एक-दूसरे के विरुद्ध आदत वालों में स्वाभाविक भिन्नता बिना किसी परिचय के ही पाई जाती है।

इसलिये नहीं छूटती हैं पुरानी आदतें

अक्सर देखा गया है कि पुरानी आदतें नई आदतों की भेंट में अधिक शक्तिशाली होती हैं। हम सभी इस बात के अनुभवी हैं कि कैसे जब हम नई आदतों का बीजारोपण अपने अंदर करना चाहते हैं, तो पुरानी आदतें उसमें बाधा डालती हैं, जिसके परिणामस्वरूप हम निराश हो जाते हैं और यह सोचने लगते हैं कि हमसे पुरानी आदत छूटती ही नहीं, परंतु ऐसा सोचना गलत है क्योंकि पुरानी आदतें एक दिन में तो इतनी शक्तिशाली नहीं बन गई हैं।

दृढ़ इच्छाशक्ति से बदली जा सकती है आदत

काफी लंबे समय तक, काफी दिलचस्पी के साथ अनेकों बार उन्हें क्रिया रूप में परिणित किया गया है, तब जाकर वे आज इतनी मजबूत बन पाई हैं। तो इससे यह सिद्ध होता है कि कोई भी आदत तब मजबूत होती है, जब उसका पर्याप्त समय तक कार्य रूप में अभ्यास किया जाता है। अत: आज जो आदतें पड़ी हुई हैं, किसी समय वह भी नई रही होंगी और उनको अपने पैर जमाने में अपने से पुरानी आदतों के साथ उसी प्रकार से संघर्ष करना पड़ा होगा। तो ऐसी स्थिति में हमें निराश होने की कोई आवश्यकता नहीं हैं क्योंकि जब पूर्वकाल में नई आदतें डालने में हम सफल हो चुके हैं, तो कोई कारण नहीं कि अब फिर वैसा न कर सकें। इसके लिए जरूरत है तो केवल दृढ़ इच्छाशक्ति की।

सद्गुणों का विकास करना अत्यंत सरल है

बहुधा ऐसा होता है कि लोग बुरी आदतों को दूर करने में पूरा जोर नहीं लगाते। बुरी आदतों से लडऩा तब तक सहज नहीं, जब तक आपने उन पर अच्छी तरह सोच-विचार न किया हो। उदाहरण के लिए मान लें कि आपको क्रोध जल्दी आता है। तो क्रोध का त्याग करने में अधिक सहायता इससे मिलेगी कि आप चित्त की शांति पर विचार करें और उसे बढ़ाने का प्रयत्न करें। दुर्गुणों को दूर करने की भेंट में सद्गुणों का विकास करना अत्यंत सरल है।


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