अच्छा-बुरा
नियल डेफो के मशहूर उपन्यास 'रोबिंसन क्रूसो' में प्रसंग है - नायक एक बार एक रेतीले द्वीप पर फंस गया। उसे वहां जिंदा रहने के लिए रास्ता ढूंढना था। जब वह द्वीप पर था, उसने दो सूचियां बनाईं। एक अच्छे अनुभवों की, दूसरी बुरे अनुभवों की। वह अपने साथ घटित हो रही बातों को अच्छी य
नियल डेफो के मशहूर उपन्यास 'रोबिंसन क्रूसो' में प्रसंग है - नायक एक बार एक रेतीले द्वीप पर फंस गया। उसे वहां जिंदा रहने के लिए रास्ता ढूंढना था। जब वह द्वीप पर था, उसने दो सूचियां बनाईं। एक अच्छे अनुभवों की, दूसरी बुरे अनुभवों की। वह अपने साथ घटित हो रही बातों को अच्छी या बुरी सूची में लिखता जाता।
उसने लिखा- 'मैं इस सुनसान द्वीप पर फंसा हुआ हूं, जो कि बुरा है, पर मैं जीवित हूं, जो कि अच्छा है। जहाज पर जितने अन्य व्यक्ति थे, वे मर गए पर मैं बच निकला।' आगे उसने लिखा, 'मैं बिल्कुल अकेला हूं, जो बुरा है। पर मैं भूखा नहीं मर रहा हूं, जोकि अच्छा है।'
उसने अपनी अवस्था के बारे में आगे लिखा, 'मेरे पास कोई कपड़ा नहीं है, जो कि बुरा है। पर साथ ही, यहां इतनी गर्मी है कि मुझे कपड़ों की जरूरत नहीं है, इसलिए यह अच्छा है।' उसने फिर लिखा, 'जानवरों से अपनी रक्षा करने के लिए मेरे पास कोई हथियार नहीं है, जो कि बुरा है। पर समुद्र के किनारे कोई जंगली जानवर नहीं है, जो बहुत अच्छा है।'
अंत में, उसने लिखा, 'मेरे पास बात करने के लिए कोई भी नहीं है, जोकि बुरा है। पर जहाज समुद्र के किनारे के पास पड़ा है और अपनी बुनियादी जरूरतों का सामान मैं जहाज में से ला सकता हूं, जो अच्छा है।'
आखिरकार रोबिन्सन क्रूसो ने यह जाना कि कोई परिस्थिति इतनी खराब नहीं होती कि इंसान प्रभु को धन्यवाद देने का कोई कारण ही न हो।
कथा-मर्म : जब भी हमारे ऊपर संकट आए, हमें सकारात्मक बातों से ऊर्जा बनाए रखनी चाहिए।
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मंथन से मिलता ह अमृत
जो लोग कठिनाइयों से घबराकर जीवन को ही दोष देने लगते हैं, वे अपने
जीवन के सागर का मंथन नहीं करते। उन्हें समझना होगा सागर-मंथन में
विष के बाद अमृत ही निकलता है। प्रख्यात दार्शनिक ओशो का चिंतन..
म्। जहां से विष निकला,
वहीं से अमृत निकल
। जहां से विष निकला,
वहीं से अमृत निकल