ईश्वर की इच्छा
पुरानी बात है। एक व्यक्ति गरीबों, बीमारों और अशक्तों की सेवा करता। उसके भीतर करुणा और दया का सागर लहराता था। उसके गुणों से प्रसन्न होकर ईश्वर ने उसके पास देवदूत भेजा। दूत ने कहा कि ईश्वर आपको वरदान देना चाहते हैं। क्या आप लोगों को रोगमुक्त करने की शक्ति
पुरानी बात है। एक व्यक्ति गरीबों, बीमारों और अशक्तों की सेवा करता। उसके भीतर करुणा और दया का सागर लहराता था। उसके गुणों से प्रसन्न होकर ईश्वर ने उसके पास देवदूत भेजा। दूत ने कहा कि ईश्वर आपको वरदान देना चाहते हैं। क्या आप लोगों को रोगमुक्त करने की शक्ति प्राप्त करना चाहते हैं?
वह व्यक्ति बोला, 'मैं चाहता हूं कि ईश्वर ही इस बात का निर्णय करें कि किसे रोगमुक्त करना चाहिए और किसे
नहीं, मैं यह निर्णय नहीं लेना चाहता। दूत ने कहा, 'आपको यह शक्ति नहीं चाहिए, तो बुरे लोगों को अच्छाई की राह पर लाने की शक्ति ले लीजिए। व्यक्ति बोला, 'मैं नहीं चाहता कि लोग मसीहा समझ कर मेरा अतिरिक्त सम्मान करें। देवदूत आश्चर्यचकित रह गया। उसने कहा, मैं आपको शक्ति दिए बिना वापस नहीं जा सकता। यदि आप स्वयं कोई शक्ति नहीं लेना चाहेंगे तो मुझे स्वयं आपके लिए चयन करना पड़ेगा। उस व्यक्ति ने
कुछ सोचकर कहा, 'ठीक है, यदि ऐसा है तो मैं चाहता हूं कि ईश्वर मुझसे जो भी अच्छाई के काम करवाना चाहता है, वे होते जाएं, परंतु लोगों को यह न लगे कि यह सब मैंने किया। मुझे भी इस बात का अहसास न हो, ताकि मुझमें कभी अहंकार न उपजे। देवदूत ने उस व्यक्ति की परछाईं को रोगमुक्त करने की दिव्य शक्ति दे दी,
जिसकी जानकारी उसे नहीं दी। वह व्यक्ति जहां भी गया, लोग रोगमुक्त हो गए। बंजर धरती में फूल खिल उठे और दुखियों का जीवन सुखों से भर गया।
अपनी शक्तियों से अनभिज्ञ वह व्यक्ति दूरदूर की यात्राएं करता रहा। उसकी परछाईं ईश्वर की इच्छा को पूरा करती रही। उसे जीवनपर्यंत इसका बोध नहीं हुआ कि वह ईश्वर के कितना करीब था।
पाउलो कोएलो के ब्लॉग से