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विचार की समाप्ति है ध्यान

जब आप जंगलों, पहाड़ों में विचरण कर रहे हैं, तो अपने आसपास के वातावरण को आपसे कहने दें, ताकि आप भी अपने सुख-दुख के प्रति जागरूक हो सकें।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 11 Apr 2017 11:05 AM (IST)Updated: Tue, 11 Apr 2017 11:12 AM (IST)
विचार की समाप्ति है ध्यान
विचार की समाप्ति है ध्यान

समय गति है। विचार भी गतियों का समूह है। क्या विचार का कोई अंत है? क्या ज्ञान का अंत है? क्या

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अनुभव का अंत है? अनुभव का अंत होना ही पूर्ण मुक्ति है और पूर्ण मुक्ति ही ध्यान है। ध्यान के लिए

बुद्धि की ही नहीं, बल्कि गहरी अंतर्दृष्टि की भी आवश्यकता होती है। यही है धर्म और सही ढंग से जीने का

मार्ग। ध्यान में मन और मस्तिष्क की गुणवत्ता महत्वपूर्ण है। नकारात्मकता के माध्यम से हम सकारात्मक अवस्था तक पहुंच जाते हैं। हम समूह में रहें या अपने में, अनुभव के द्वारा ध्यान की शुद्धता को नकारते

हैं।

किसी अंत पर पहुंचना ध्यान का ध्येय नहीं है। यह ध्येय भी है और साथ ही उसकी समाप्ति भी। अनुभव के द्वारा मन को कदापि निर्दोष या शुद्ध नहीं बनाया जा सकता। यदि ध्यान नहीं है, तो प्रकाश और रंगों के अति सुंदर विश्व में आप एक अंधे आदमी की तरह हैं। जब आप जंगलों, पहाड़ों में विचरण कर रहे हैं, तो अपने आसपास के वातावरण को आपसे कहने दें, ताकि आप भी अपने सुख-दुख के प्रति जागरूक हो सकें।


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