आप जो बांटते हैं, वही आपका गुण बन जाता है
हम समझते हैं कि हम जो चीज हमारे भीतर है वो हमारा गुण होगा, जबकि जो आप अपने आस पास बिखेरते हैं, जो बांटते हैं, वो आपका गुण होता है। ये ठीक वैसा ही है जैसा रंगों और रौशनी के साथ होता है। आइए जानते हैं विस्तार से -
हम समझते हैं कि हम जो चीज हमारे भीतर है वो हमारा गुण होगा, जबकि जो आप अपने आस पास बिखेरते हैं, जो बांटते हैं, वो आपका गुण होता है। ये ठीक वैसा ही है जैसा रंगों और रौशनी के साथ होता है। आइए जानते हैं विस्तार से -
इस जगत में किसी भी चीज में रंग नहीं है। पानी, हवा, अंतरिक्ष और पूरा जगत ही रंगहीन है। यहां तक कि जिन चीजों को आप देखते हैं, वे भी रंगहीन हैं। रंग केवल प्रकाश में होता है। आप जो भी रंग चाहते हैं, वे सभी सिर्फ प्रकाश में है। अगर प्रकाश किसी वस्तु पर पड़ता है और वह वस्तु कुछ भी परावर्तित नहीं करती, यानी सारा प्रकाश वह सोख लेती है, तो वह काले रंग की नजर आती है। अगर कोई वस्तु सारा प्रकाश परावर्तित कर देती है, या लौटा देती है तो वह सफेद नजर आती है। तो रंग की वजह प्रकाश है।
अगर कोई चीज आपको लाल नजर आ रही है तो इसका मतलब यह नहीं है कि वह चीज लाल रंग की है। इसका मतलब यह है कि वह लाल रंग को छोडकऱ शेष सभी रंगों को अपने भीतर रख लेती है। सिर्फ लाल रंग को वह परावर्तित कर देती है और इसी वजह से आपको वह लाल रंग की दिखाई देती है। रंगों के बारे में इंसान की समझ इसी तरह से काम करती है। कोई चीज आपको काली नजर आती है, क्योंकि वह कुछ भी परावर्तित नहीं करती।
इस जगत में किसी भी चीज में रंग नहीं है। पानी, हवा, अंतरिक्ष और पूरा जगत ही रंगहीन है। यहां तक कि जिन चीजों को आप देखते हैं, वे भी रंगहीन हैं। रंग केवल प्रकाश में होता है।
कुछ चीजें सफेद नजर आती हैं, क्योंकि वे सब कुछ परावर्तित कर देती हैं। कुछ चीजें नीली नजर आती हैं, क्योंकि वे नीले को छोडकऱ बाकी सभी रंगों को रोककर रखती हैं। आप रंग के बारे में जो सोचते हैं, रंग उससे बिल्कुल उल्टा है। जब आप कोई हरे रंग की चीज देखते है तो वास्तव में उसका रंग हरा नहीं होता। हरे रंग को वह बाहर निकालती है, उसे बिखेरती है, इसीलिए वह आपको हरी नजर आती है, उसका रंग हरा नहीं होता। यानी किसी वस्तु का रंग वह नहीं है जैसा वह दिखता है, जो वह त्यागता है वही उसका रंग हो जाता है ।
आप जो भी चीज परावर्तित करेंगे, वही आपका रंग हो जाएगा। आप जो अपने पास रख लेंगे, वह आपका रंग नहीं होगा। ठीक इसी तरह से जीवन में जो कुछ भी आप देते हैं, वही आपका गुण हो जाता है। अगर आप आनंद देंगे तो लोग कहेंगे कि आप आनंद से भरे इंसान हैं। अगर आप प्रेम देंगे तो लोग कहेंगे कि आप प्रेममय हैं। अगर आप निराशा देंगे तो कहा जाएगा कि आप निराश व्यक्ति हैं। अगर आप धन देंगे तो लोग कहेंगे कि आप अमीर हैं। अगर आप कुछ भी नहीं देंगे तो कहा जाएगा कि आपके पास कुछ भी नहीं है। तो आप जो भी देते हैं, हमेशा वही आपका गुण बन जाता है। लेकिन हमारा तार्किक दिमाग सोचता है कि हम जिस चीज को अपने पास रखते हैं, वही हमारा गुण होता है। नहीं, जिस चीज को आप थामकर रखते हैं, वह कभी आपका गुण हो ही नहीं सकता। जो आप देते हैं, वह आपका गुण होता है।