मंत्रोच्चार के साथ मनी गोपाष्टमी
इसे प्रेम और भक्ति का परिणाम ही कहेंगे, सात समंदर पार कर अपने देश की संस्कृति से इतर श्रीकृष्ण के रंग में रंगने को भारतीय संस्कृति को अपनाया लिया। गोपाष्टमी पर्व पर विदेशी युवतियों ने भगवान की लीलाओं के अनुरूप गायों की सेवा की।
वृंदावन। इसे प्रेम और भक्ति का परिणाम ही कहेंगे, सात समंदर पार कर अपने देश की संस्कृति से इतर श्रीकृष्ण के रंग में रंगने को भारतीय संस्कृति को अपनाया लिया। गोपाष्टमी पर्व पर विदेशी युवतियों ने भगवान की लीलाओं के अनुरूप गायों की सेवा की। पंचायती गोशाला से श्रीकृष्ण- बलराम के स्वरूप के साथ करीब ढाई सौ गायों का शहर में भ्रमण कराया गया।
सुनरख स्थित संदीपन मुनि गोशाला में विदेशी युवतियांे ने गायों की सेवा की। श्रीमद्भागवत कथा आयोजन समिति के तत्वावधान में श्रीजी बाबा आश्रम स्थित गोशाला में गो पूजन किया गया। गो संरक्षण व संवर्धन विषय पर संगोष्ठी हुई। संत राजा बाबा, संस्थापक अमित भारद्वाज, अशोक पंडित व पंकज पंडित, महंत राधाकांत गोस्वामी, देवेंद्र पाठक, बलराम आचार्य, नारायण शर्मा, नरेश शर्मा, बब्बू पंडित, बृजमोहन ने विचार व्यक्त किए। कार्यकारी अध्यक्ष दीपक शास्त्री ने आभार जताया। सत्संगति विश्वस्त व्यवस्था द्वारा गायों का पूजन किया गया। अध्यक्ष आलोक महाराज ने गोपाष्टमी पर प्रकाश डाला। श्री माथुर चतुर्वेद परिषद द्वारा आयोजित श्रीकृष्ण-बलराम कंसवध महोत्सव के प्रथम दिन गोपाष्टमी के अवसर पर निकाली गयी शोभायात्रा में कृष्ण-बलराम के स्वरूपों के साथ चलते चतुर्वेदी समाज के लोग।
मथुरा : गोपाष्टमी पर गायों की खूब सेवा हुई। गायों को स्नान कराया गया। आरती उतारी गई। श्रृंगार कर पूजन किया गया। जगह-जगह आयोजित कार्यक्रमों में गायों के महत्व पर प्रकाश डाला गया। गायों की रक्षा का संकल्प लिया गया। श्रीकृष्ण जन्म स्थान पर यमुना पुलिन में गऊओं के पीछे हाथ में लकुटी लिए ग्वालबालों संग बालकृष्ण का स्वरूप व वृक्षावलियों की सज्जा की गई। गोशाला में गो पूजन हुआ। संस्थान के मुख्य अधिशाषी राजीव श्रीवास्तव ने संस्थान द्वारा संचालित गो सेवा प्रकल्प पर प्रकाश डाला। इस दौरान सदस्य डा. चंद्रभान गुप्ता ,गोपेश्वरनाथ चतुर्वेदी, रामअवतार अवस्थी, डा. तीर्थराज अग्रवाल, राजेश कुमार, अनुराग पाठक, रामखिलाड़ी, विशाल कटारा, सुभाष शर्मा, ऊदल सिंह आदि उपस्थित थे।गऊघाट पर गोपाष्टमी के मौके पर गोचारण लीला के अवसर कृष्ण-बलराम के स्वरूपों के साथ स्थानीय लोग।वंृदावन की संदीपन मुनि गोशाला में विदेशी भक्तों ने भी गोसेवा की। युवतियां और महिलाएं गोपियों के रूप में सज-धजकर तैयार हुईं और गायों भूसा-चारा खिलाया।
भगवान श्रीकृष्ण और बलराम जब गाय चराने निकले तो द्वापर युग जीवंत हो गया। विश्राम घाट पर इस लीला से आस्था की ऐसी बयार बही कि सभी सुधबुध खोकर भगवान श्रीकृष्ण और बलराम के जयकारे लगाने लगे। इसी के साथ श्री माथुर चतुर्वेद परिषद द्वारा आयोजित श्री कृष्ण-बलराम महोत्सव का शुभारंभ हो गया। शुक्रवार को गऊ चारण लीला हुई।
श्रीकृष्ण-बलराम अपने कुलगुरु गर्गाचारी की अनुमति से गऊ चराने सर्वप्रथम निकले। परिषद के सदस्यों ने श्रीकृष्ण-बलराम का पूजन किया। गऊ चारण को वृन्दावन से आयी श्री हितराम लीला मंडल और स्वामी बाबू लाल ने द्वापर युग जीवंत किया। सायं को शोभायात्रा में प्रभु घोड़े पर सवार होकर निकले। चतुर्वेद समाज के लोग फूल मालाओं से लदे लट्ठ लेकर फूलन की बाजू, फूलन की माला, गैया चरायवे चले नंदलाला गाते हुए पुराने बस स्टैंड के पीछे गोपाल बाग पहुंचे। वहां कलेवा किया। गोचारण की शोभायात्र पुन: गोपालबाग से विश्रम घाट पहुंची। सायं को विश्रामघाट पर स्व. श्रीमती कुंजलता विट्ठलदास पाठक परिवार, परिषद के मुख्य संरक्षक महेश पाठक द्वारा मां यमुना के छप्पन भोग का आयोजन किया गया। परिषद के संरक्षक गिरधारीलाल पाठक ने कहा कि पृथ्वी मंडल पर गायों का सर्वप्रथम पुरोभाव गोपाष्टमी पर हुआ। संरक्षक गोपेश्वरनाथ चतुर्वेदी ने गऊमाता की रक्षा करने की अपील की।
कवि सम्मेलन आज
श्रीमाथुर चतुर्वेद परिषद द्वारा विश्रम घाट पर आयोजित कवि सम्मेलन में शनिवार को रात्रि आठ बजे से डा. हरिओम पवार, डा. अनिल चौबे, संदीप शर्मा, लठूरी लट्ठ, मनवीर मधुर आदि काव्य पाठ करेंगे।
वाराणसी। गोपाष्टमी का पर्व शहर में विभिन्न संस्थाओं ने धूमधाम से मनाया। लोगों ने गऊ माता के संरक्षण व संवर्धन का संकल्प लिया। श्रीधर्मसंघ शिक्षा मंडल द्वारा शुक्रवार को बटुकों के मंत्रोच्चार व पूजन-अर्चन के बीच गोपाष्टमी मनाई। संघ के महामंत्री जगजीवन पांडेय ने पूजन का संयोजन किया। दी भारतीय गो रक्षा प्रचारक मंडल काशी द्वारा गोसंवर्धन समारोह का आयोजन किया गया।
इसी क्रम में श्री काशी जीवदया विस्तारिणी गोशाला एवं पशुशाला में भी 128वां वार्षिक समारोह गोपाष्टमी पर्व हषरेल्लास से मनाया गया। इस अवसर पर गोभक्तों, बच्चों व समाजसेवियों ने दशाश्वमेध घाट पर गोसेवा का संकल्प लिया। इसके उपरांत गो सेवा यात्रा निकाली गई। गोपाष्टमी का मुख्य कार्यक्रम श्रीगोकुल गोशाला, ग्राम गोइठहां, बावनबीघा में किया गया जिसमें मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, त्रिपुरा, नागालैंड, अरुणांचल प्रदेश, सिक्किम पूर्व भारत के पूर्वाेत्तर राज्य के बच्चों द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए गए।