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इंदौर में होगा अंतर्राष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन, दुनियाभर से आएंगे अध्यात्मिक गुरु

तीसरा अंतरराष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन इंदौर में 24 से 26 अक्टूबर तक होगा। इसमें दुनियाभर के करीब 100 धर्म गुरुओं सहित एक हजार विद्वान सम्मिलित होंगे। शुभारंभ समारोह में भूटान के विदेश मंत्री व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन उपस्थित रहेंगी।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 29 Sep 2015 11:38 AM (IST)Updated: Tue, 29 Sep 2015 12:09 PM (IST)

तीसरा अंतरराष्ट्रीय धर्म-धम्म सम्मेलन इंदौर में 24 से 26 अक्टूबर तक होगा। इसमें दुनियाभर के करीब 100 धर्म गुरुओं सहित एक हजार विद्वान सम्मिलित होंगे। शुभारंभ समारोह में भूटान के विदेश मंत्री व लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन उपस्थित रहेंगी।

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सिंहस्थ-16 को लेकर मप्र शासन के संस्कृति विभाग, सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विवि भोपाल और इंडिया फाउंडेशन नईदिल्ली के तत्वावधान में 'मानव कल्याण के लिए धर्म विषय पर सम्मेलन इंदौर के ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में होगा।

सांची बौद्ध-भारतीय ज्ञान अध्ययन विवि भोपाल के कुलसचिव राजेश गुप्ता व प्रो. एसआर भट्ट ने सोमवार को बताया सम्मेलन में भारत सहित अमेरिका, जापान, चीन, दक्षिण कोरिया, भूटान, श्रीलंका, कंबोडिया, थाइलैंड, ताइवान, म्यांमार, नेपाल और सिंगापुर जैसे 29 देशों के धर्मगुरू, विचारक, चिंतक और विद्वान आएंगे।

कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य स्वामी जयेंद्र सरस्वती, आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री रविशंकर, तिब्बती धर्मगुरु लोबसांग सांग, प्रो. समदोग रिनपोचे, डॉ. थिक टम डक, प्रो. शॉन हिनो, हजरत सैयद मोहम्मद अशरफ, डॉ. एके मर्चेंट, सुल्तान शाहीन, जोसफ मार्थोमा, प्रो. वामसी जुलूरी भी इसमें शामिल होंगे।

शंकराचार्य की उपस्थिति में उद्धाटन सत्र

सम्मेलन का उद्धाटन कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य स्वामी जयेंद्र सरस्वतीजी की उपस्थिति में होगा। भूटान के विदेश मंत्री लोन्पो दोम्चो दोर्जी, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान उपस्थित रहेंगे।

26 अक्टूबर को होने वाले समापन समारोह में केंद्रीय संस्कृति मंत्री महेश शर्मा, प्रदेश के संस्कृति और पर्यटन मंत्री सुरेंद्र पटवा, आध्यात्मिक गुरु श्री रविशंकर व केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के लोबसांग सांगे उपस्थित रहेंगे।

एक नजर में सम्मेलन

मुख्य सत्र के साथ छह समानांतर सत्र होंगे। विश्व शांति, पर्यावरण व प्रकृति, मानव गौरव, बहुवचनवाद यानी सभी धर्मों को मानने वाले लोगों का सह अस्तित्व, नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों के विषय पर चर्चा होगी। 130 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत होंगे।


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