वृंदावन को तीर्थस्थल घोषित करने में देरी क्यों
वृंदावन को तीर्थस्थल घोषित करने में देरी क्यों लग रही। इससे यहां प्रतिवर्ष आने वाले करोड़ों तीर्थयात्रियों और श्रद्धालुओं को परेशानी उठानी पड़ रही है। यहां के रास्ते उखड़े पड़े है तो अधिकांश गलियां और सड़कें जर्जर हालत में है। बिजली विभाग की खुदाई ने तो यहां का जैसे बेड़ा
वृंदावन। वृंदावन को तीर्थस्थल घोषित करने में देरी क्यों लग रही। इससे यहां प्रतिवर्ष आने वाले करोड़ों तीर्थयात्रियों और श्रद्धालुओं को परेशानी उठानी पड़ रही है। यहां के रास्ते उखड़े पड़े है तो अधिकांश गलियां और सड़कें जर्जर हालत में है। बिजली विभाग की खुदाई ने तो यहां का जैसे बेड़ा ही गर्क कर रखा है। सात किलोमीटर की परिक्रमा में पानी के साधनों का बेहद अभाव है।
प्रख्यात मंदिरों के आसपास स्टैंडपोस्ट तो हैं वे पानी नहीं उगलते। ब्रज के इतिहासकार वृंदावन बिहारी का कहना कि धार्मिक नगरी वृंदावन में तीर्थ और पर्वो को छोड़ दिया जाये तो प्रतिदिन दस हजार लोगों का आवागमन बना रहता है। ये लोग यहां के धार्मिक महत्व के लिहाज से आते हैं। सालों से वृंदावन को तीर्थस्थल घोषित करने की मांग उठाई जा रही। लेकिन शासन ने इस ओर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है।
महामंडलेश्वर नवलगिरि और महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद का कहना है कि जब हरिद्वार को तीर्थ स्थल का दर्जा दिया जा सकता है तो वृंदावन को क्यों नहीं जब कि श्रीकृष्ण प्रेमी यहां हर वर्ष करोड़ों की संख्या में आते हैं। शासन घोषणा कर दे तो तीर्थयात्रियों को फायदा मिल सकता है। चैतन्य कुटी के महंत फूलडोल दास बिहारी और टोपीकुंज आश्रम के महंत ललिताशरण ने कहा कि वृंदावन को तीर्थ स्थल घोषित कराने की मांग काफी समय से उठ रही है। करीब 5 साल पहले शासन ने जिला प्रशासन से इस दिशा में रिपोर्ट भी मांगी थी लेकिन अब तक कार्रवाई नहीं हुई।
सामाजिक संस्था प्रयास के अध्यक्ष अभय वशिष्ठ ने कहा कि धार्मिक स्थल वृंदावन को तीर्थ स्थल बना दिया जाए तो ऋषिकेश-हरिद्वार, पलितना गुजरात, कुरुक्षेत्र और अमर कंटक मध्य प्रदेश की भांति यहां भी सारे साधन श्रद्धालुओं को मिल सकेंगे।