Move to Jagran APP

जहां बैचेनी, अशांति, तनाव अपने आप ही मिट जाता है

आध्यात्मिक शक्ति के विकास से इस शांति की प्राप्ति की जा सकती है और जीवन के सभी प्रश्नों का उत्तर स्वत: प्राप्त अथवा अनुभूत हो जाता है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 15 Mar 2017 02:09 PM (IST)Updated: Wed, 15 Mar 2017 02:12 PM (IST)
जहां बैचेनी, अशांति, तनाव अपने आप ही मिट जाता है
जहां बैचेनी, अशांति, तनाव अपने आप ही मिट जाता है

 मानव जीवन प्रश्नों से जुड़ा है। जीवन की प्रत्येक घटना जो मन को स्पंदित करती है, अनायास ही नए प्रश्नों को

loksabha election banner
जन्म देती है। इसी तरह परिस्थितियां व परिवेश स्वाभाविक ही अंतसचेतना में प्रश्नों को जन्म देती हैं। प्रश्नों का
क्रम न तो रुकता है और न थमता है बस नित्य-निरंतरअविराम चलता रहता है। वस्तुत: प्रश्न कई प्रकार के होते
हैं। जिज्ञासावश मन में उठने वाला भाव प्रश्न है।
प्रश्न के  बाद पुन: पूछने का क्रम प्रतिप्रश्न है तो कुछ लोग किसी विषय पर इतने प्रश्न पूछते हैं कि मूल विषय से ध्यान ही भटक जाए ऐसा करना-अतिप्रश्न है और अनावश्यक भी। किसी दुर्भावनावश अप्रासंगिक प्रश्न पूछना कुप्रश्न कहलाता है। प्रश्नकर्ता का भाव विकसित करने के लिए सर्वप्रथम ‘ईगो’ को त्याग कर विनम्रता, शिष्यता और जिज्ञासु भाव को विकसित करना आवश्यक है। ऐसा इसलिए, क्योंकि प्रत्येक प्रश्न मन के मौन को तोड़ता है। मन में अशांति, बेचैनी व तनाव को जन्म देता है। ये प्रश्न जितने अधिक, जितने गहरे व जितने व्यापक होते हैं, मन की अशांति, बैचेनी व तनाव भी उतना ही ज्यादा गहरा और व्यापक होता जाता है।
इसी अशांति, बैचेनी और तनाव में अपनी ही कोख में उपजे प्रश्न या प्रश्नों के उत्तर खोजने की व्यक्ति कोशिश
करता है। उसे अपने इस प्रयास में सफलता मिलती है। उत्तर मिलते भी हैं, पर नए प्रश्नों के साथ कोई न कोई प्रश्न चिपक ही जाता है। साथ ही बढ़ जाती है बैचेनी और अशांति, क्योंकि कोई भी घटना, फिर वह चाहे प्रश्न की हो या उत्तर की, मन में लहरें व हिलोरें पैदा करेंगी। मन को तनाव, बैचेनी व अशांति से ही भरेंगी। इस समस्या का समाधान तभी है जब मन की लहरें मिटें, हिलोरें हटें। फिर न कोई प्रश्न उभरेंगे और न किसी उत्तर की खोज होगी। इसके लिए मन को मौन होना होगा। केवल तभी चेतना प्रश्नों के पार जा सकेगी। तभी यह समझ में आएगा कि पूछने को कुछ नहीं है। उत्तर पाने को कुछ नहीं है। इसी को समाधि कहते हैं जहां सभी प्रश्न स्वाभाविक ही गिर जाते हैं। जहां बैचेनी, अशांति, तनाव अपने आप ही मिट जाता है। बस बनी रहती है तो केवल प्रश्नविहीन अमिट शांति। आध्यात्मिक शक्ति के विकास से इस शांति की प्राप्ति की जा सकती है और जीवन के सभी प्रश्नों का उत्तर स्वत: प्राप्त अथवा अनुभूत हो जाता है।

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.