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जब मन के द्वारा बनाई गई सभी सीमाएं गायब हो जाती हैं तभी सच्चा सुख पैदा होता है

त्योहारों और समारोहों के दौरान हर्षोल्लास से भाग लेने पर हमारे मन से बुरे विचार निकल जाते हैं और अच्छे विचारों का जन्म होता है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 07 Mar 2017 11:16 AM (IST)Updated: Tue, 07 Mar 2017 11:27 AM (IST)
जब मन के द्वारा बनाई गई सभी सीमाएं गायब हो जाती हैं तभी सच्चा सुख पैदा होता है
जब मन के द्वारा बनाई गई सभी सीमाएं गायब हो जाती हैं तभी सच्चा सुख पैदा होता है
मन की बनाई गई सीमाएं जब टूट जाती हैं, तब सारे मतभेद खत्म हो जाते हैं। तभी छोटे-बड़े सभी एक
समान दिखने लगते हैं। रंगों के त्योहार होली पर मां अमृतानंदमयी का चिंतन...
होली असीम खुशी का प्रतीक है। होली हमें आंतरिक आनंद और एकता की याद दिलाती है। यही जीवन का सार है। होली में जब हर किसी के शरीर और चेहरे को रंग से रंगा जाता है, तो सभी बाहरी मतभेद गायब हो जाते हैं। हर कोई एक समान दिखने लगता है। सच्चा सुख और प्रेम सिर्फ तभी पैदा होता है, जब मन के द्वारा बनाई गई
सभी सीमाएं गायब हो जाती हैं।
होली के दौरान सबसे अधिक चर्चा हिरण्यकशिपु के उत्थान और पतन की होती है। हिरण्यकशिपु का आंतरिक अर्थ यह है कि जब कोई व्यक्ति स्वार्थी और आत्मकेंद्रित हो जाता है और अहंकार के नशे में चूर हो जाता है, तो यह भूल जाता है कि वह केवल एक साधारण इंसान है। हमें कभी भी यह नहीं भूलना चाहिए कि ब्रह्मांड की विशालता में मानव सहित सभी प्राणी केवल एक छोटे अंश के बराबर हैं। हिरण्यकशिपु की कहानी हमें यह याद दिलाती है कि जब हम सभी शक्तिशाली देवत्व के समक्ष अपनी विनम्रता खो देते हैं, तो कर्म का कानून अंतत: हमें सही राह दिखाने के लिए आ जाता है। हमें हमेशा यह याद रखना चाहिए कि हम सभी एक-दूसरे के साथ आपस में जुड़े हैं। हमारे कार्य चाहे वे अच्छे हों या बुरे, नि:स्वार्थ हों या स्वार्थपूर्ण, हमारे परिवार, हमारे गांव, हमारे राज्य, हमारे देश और पूरी दुनिया को वे प्रभावित करते हैं। अंतत: वे हमारे पास ही वापस आते हैं।
प्रह्लाद अडिग विश्वास और दृढ़ -संकल्प की शक्ति का प्रतीक है। हालांकि प्रह्लाद छोटा बालक था, लेकिन
उसे ईश्वर को पाने से पहले कई प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। इससे हमें पता चलता
है कि सिर्फ अध्यात्म ही नहीं, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में ऊंचाइयों को प्राप्त करने के लिए हमें अपार प्यार,
विश्वास, भक्ति और समर्पण की जरूरत पड़ती है। इन सबसे ऊपर, हमें सर्वोच्च शक्ति की कृपा के भी आह्वान करने की जरूरत है। होली पर आप निडर होकर बड़ों, अजनबियों, विदेशियों, दोस्तों या दुश्मनों, किसी पर
भी रंग डालते हैं। आपकी स्थिति या रुतबा चाहे जो भी हो, रंग डालने के इस कारनामे को उत्सव और दोस्ती की भावना से स्वीकार किया जाता है। इससे किसी की भी भावनाओं को चोट नहीं लगती है या कोई भी आत्मरक्षा करने का प्रयास नहीं करता  है। आज की दुनिया में जहां मनुष्य और प्रकृति को अनगिनत समस्याओं, खतरों और संघर्षों का सामना करना पड़ रहा है, होली जैसा समारोह समानता, एकता, बिना शर्त के प्यार, खुशी, करुणा, सार्वभौमिक दोस्ती और उत्साह का अत्यंत जरूरी संदेश लेकर आता है। 
प्रह्लाद अपनी भक्ति और विश्वास के कारण आज भी दुनिया भर के लाखों लोगों के लिए जबरदस्त प्रेरणा के स्रोत हैं। हमें और अधिक ऐसे लोगों की जरूरत है, जो हमें प्रेरणा देते हैं और हमारा नेतृत्व करते हैं, जिनके विशुद्ध प्रेम और निडर धार्मिक कार्य हमारी दुनिया को अंधकार और दुख की चपेट से मुक्त करने में मदद करते हैं, जिनसे हम और हमारी दुनिया अभी घिरे हैं। त्योहारों और समारोहों के दौरान हर्षोल्लास से भाग लेने पर हमारे मन से बुरे विचार निकल जाते हैं और अच्छे विचारों का जन्म होता है। इसमें प्यार की गहरी भावना निहित
होती है। हमें अपने पूरे जीवन में अपनी सभी गतिविधियों में इस भावना को बनाए रखने का प्रयास करने की जरूरत है। 

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