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चारधाम यात्रा जारी, अमरनाथ यात्रा मार्ग पर भारी तबाही

पहाड़ों में मौसम के तीखे तेवर बरकरार हैं। बारिश और बादल फटने की घटनाओं से लोगों में दहशत है और जन-धन की क्षति निरंतर हो रही है, मगर तीर्थ यात्राओं का सीजन होने के नाते श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है। उत्तराखंड में शनिवार को मौसम के तेवर भले ही नरम

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Sat, 25 Jul 2015 09:34 PM (IST)Updated: Sat, 25 Jul 2015 09:54 PM (IST)
चारधाम यात्रा जारी, अमरनाथ यात्रा मार्ग पर भारी तबाही

नई दिल्ली, जेएनएन। पहाड़ों में मौसम के तीखे तेवर बरकरार हैं। बारिश और बादल फटने की घटनाओं से लोगों में दहशत है और जन-धन की क्षति निरंतर हो रही है, मगर तीर्थ यात्राओं का सीजन होने के नाते श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है।

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उत्तराखंड में शनिवार को मौसम के तेवर भले ही नरम रहे, लेकिन चारधाम यात्रा मार्गाें पर बारिश के खलल का क्रम बना हुआ है। बदरीनाथ राजमार्ग मैठाणा के पास अवरुद्ध है। हालांकि, यात्रियों को सैकोट संपर्क मार्ग से निकाला जा रहा है। वहीं, मलबा आने से गंगोत्री राजमार्ग करीब आठ घंटे तक बाधित रहा। हालांकि, चारधाम और हेमकुंड साहिब की यात्रा सुचारू है और यात्रियों के उत्साह में कोई कमी नहीं आई है।

उधर कश्मीर में अमरनाथ यात्रा मार्ग पर भी बारिश कहर बनकर टूटी है। बादल फटने के कारण शनिवार को बालटाल आधार शिविर से बाबा अमरनाथ की यात्रा स्थगित कर दी गई। हालांकि नुनवन आधार शिविर से यात्रा जारी रही। इस बीच 2904 श्रद्धालुओं का जत्था पवित्र गुफा की तरफ रवाना हुआ। शाम पांच बजे तक 5021 श्रद्धालु पवित्र गुफा के दर्शन कर लौट चुके थे। संबंधित अधिकारियों के अनुसार, नुनवन से पवित्र गुफा रवाना होने वाले श्रद्धालुओं में 2464 पुरुष, 420 महिलाएं, 48 साधु व आठ बच्चे शामिल हैं।

अमरनाथ यात्रा की पवित्र गुफा के आधार शिविर बालटाल के पहाड़ और जोजिला टॉप में शुक्रवार की रात फटे बादल से मची तबाही में शनिवार को मरने वालों की संख्या तीन हो गई। लापता सात लोगों में से दो सकुशल मिल गए हैं, लेकिन पांच अन्य का कोई सुराग नहीं मिला है। वहीं, नौ अन्य जख्मी हैं।

इसके अलावा तीन लंगर, 17 दुकानें, 30 टेंट क्षतिग्रस्त हुए हैं। जबकि 18 वाहन बह गए हैं और करीब 80 वाहन क्षतिग्रस्त हुए हैं। बाढ़ में छह खच्चर भी बह गए हैं।

श्रीनगर-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग पूरी तरह बंद कर दिया गया है। बालटाल से पवित्र गुफा के लिए यात्रा भी अगली सूचना तक स्थगित कर दी गई है। भूस्खलन के बाद बालटाल में फंसे 780 श्रद्धालुओं को आधार शिविर के आसपास स्थित टेंटों से सैन्य शिविर और 1500 श्रदालुओं को भंडारों में ठहराया गया है। बालटाल और मछली तालाब-सोनमर्ग के पास स्थित गड़रियों के सात ढोक भी तबाह हो गए हैं।

बादल फटने के बाद बालटाल गेट से लेकर रंगामोढ तक तीन जगह भूस्खलन हुआ है और रंगामोढ़ से गुमरी तक सात जगहों पर सड़क का 20-25 मीटर का हिस्सा तबाह हो चुका है। एक पुल भी क्षतिग्रस्त हुआ है। सैन्य शिविर गेट के पास स्थित 17 टेंट भी बाढ़ में आई सिल्ट में आधे दबे हुए हैं। संबधित अधिकारियों ने बताया कि बादल फटने के बाद अचानक आई बाढ़ में मारे गए दो नाबालिग बच्चों 13 वर्षीय पूजा पुत्री प्रकाश निवासी राजस्थान व 12 वर्षीय विक्रम पुत्र कैलाश निवासी राजस्थान के शव सुबह ही मिल गए थे। दीपक कुमार निवासी दिल्ली का शव दोपहर करीब साढ़े बारह बजे मिला। बाढ़ व भूस्खलन के बाद सुबह 11 बजे तक सात लोग लापता थे। हालांकि दोपहर बाद दो मिल गए।

नौ घायलों में से एक की गंभीर हालत को देखते हुए हेलीकाप्टर के जरिए श्रीनगर अस्पताल लाया गया है।

कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रत साहा ने कहा कि सभी श्रद्घालु सुरक्षित हैं। हम बालटाल का रास्ता साफ करने से लेकर जोजिला को यातायात के लिए बहाल करने के लिए अपने संसाधनों का पूरा इस्तेमाल कर रहे हैं। लेह-राष्ट्रीय राजमार्ग को यातायात योग्य बनाने में दो दिन लग सकते हैं। गौरतलब है कि शुक्रवार रात करीब 11 बजे बालटाल के पहाड़ और जोजिला टॉप पर बादल फटा था। इसके बाद वहां भूस्खलन हुआ।

उधर उत्तराखंड मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि बादलों के रविवार को भी बरसने के आसार बने हुए हैं।


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