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इस विधि से करें अहोई अष्टमी व्रत, लंबी होगी पुत्र की आयु

संतान की उन्नति, प्रगति, सुख समृद्धि और पति की लम्बी आयु के लिए महिलाएं अहोई माता का व्रत करती हैं। इस बार सप्तमी व अष्टमी दोनों का व्रत एक ही दिन यानी 22 अक्तूबर को ही होगा।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 21 Oct 2016 02:23 PM (IST)Updated: Sat, 22 Oct 2016 08:48 AM (IST)

हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक कृष्ण अष्टमी को अहोई अष्टमी का व्रत किया जाता है। इस बार ये व्रत 22 अक्टूबर, शनिवार को है। इस दिन महिलाएं अपने पुत्र की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और शाम को पूजन करने के बाद ही भोजन करती हैं। इस व्रत की विधि इस प्रकार है-

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व्रत व पूजन विधि

अहोई व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान करें और पूजा पाठ करके संतान की लंबी उम्र व सुखी जीवन के लिए कामना करते हुए यह संकल्प लें- मैं अहोई माता का व्रत कर रही हूं, अहोई माता मेरी संतान को लंबी उम्र, स्वस्थ एवं सुखी रखे। पूजा के लिए गेरू से दीवार पर अहोई माता का चित्र बनाएं और साथ ही सेह और उसके सात पुत्रों का चित्र बनाएं। शाम को इन चित्रों की पूजा करें।

अहोई पूजा में एक अन्य विधान यह भी है कि चांदी की अहोई बनाई जाती है, जिसे सेह या स्याहु कहते हैं। इस सेह की पूजा रोली, चावल, दूध व भात से की जाती है। पूजा चाहे आप जिस विधि से करें, लेकिन दोनों में ही पूजा के लिए एक कलश में जल भर कर रख लें। पूजा के बाद अहोई माता की कथा सुनें। पूजा के बाद सासू मां के पैर छूएं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। इसके बाद ही अन्न जल ग्रहण करें।

जानें शुभ मुहूर्त

उत्तर भारत के सभी क्षेत्रों में यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इस पर्व को परिवार के सुखमय जीवन से भी जुड़ा हुआ माना जाता है। इस दिन माताएं अपने बच्चों की रक्षा के लिए पूरा दिन व्रत करती हैं और शाम को दीवार पर छाप कर अहोई माता की पूजा करतीं तथा कथा सुनती हैं। अहोई माता की मूर्ति में संसार संजोया दिखाया जाता है। महिलाएं पूरे दिन व्रत रखकर रात्रि में तारे को अर्घ्य देकर अपने व्रत का समापन करती हैं।

संतान की उन्नति, प्रगति, सुख समृद्धि और पति की लम्बी आयु के लिए महिलाएं अहोई माता का व्रत करती हैं। यह व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को पुत्रवती स्त्रियां करती हैं। अष्टमी को किया जाने वाला यह व्रत अहोई आठें अथवा अघहा अष्टमी के रूप में भी प्रसिद्ध है।करवाचौथ के बाद दीपावली से एक सप्ताह पहले अहोई माता का व्रत होता है। कुछ परिवारों में यह व्रत सप्तमी को करने का भी विधान है जबकि कुछ लोग अष्टमी को ही अहोई माता का व्रत करते हैं परंतु इस बार सप्तमी व अष्टमी दोनों का व्रत एक ही दिन यानी 22 अक्तूबर को ही होगा।

अहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त- 17:40 से 18:57

अवधि- 1 घंटा 17 मिनट तक

तारों को अर्ध्य देने का समय- 18:08

अहोई अष्टमी को चन्द्रोदय का समय- 23:42

अष्टमी तिथि प्रारम्भ- 22 अक्टूबर 2016 को 13:10 बजे

अष्टमी तिथि समाप्त- 23 अक्टूबर 2016 को 12:28 बजे

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