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इस विधि से आप अपने बच्चों पर आने वाली बाधा दूर कर सकते हैं

वास्तुशास्त्र में छात्रों के लिये खासकर उनके मन को एकाग्र एवं उनकी पढाई में रुचि बढाने के लिये कुछ छोटे छोटे नियम बताये गये है जिनका हम आसानी से पालन कर सकते है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 27 Apr 2016 12:14 PM (IST)Updated: Thu, 28 Apr 2016 09:31 AM (IST)
इस विधि से आप अपने बच्चों पर आने वाली बाधा दूर कर सकते हैं

छात्रों या बच्चो के अभ्यास के लिये एकांत वातावरण और एकाग्र मन होना अत्यंत आवश्यक है। इसीलिये वास्तुशास्त्र में छात्रों के लिये खासकर उनके मन को एकाग्र एवं उनकी पढाई में रुचि बढाने के लिये कुछ छोटे छोटे नियम बताये गये है जिनका हम आसानी से पालन कर सकते है

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छात्रों के पढाई वाले रुम में दक्षिण दिशा में अथवा पूर्व दिशा मे सिर रखकर शयन कर सके इस तरह पलंग की व्यवस्था होनी चाहिये। बच्चो या छात्रों को पूर्व​, ईशान या उत्तर दिशा तरफ़ द्रष्टि रखकर पढाई कर सके ऐसी उनकी बेठक व्यवस्था होनी चाहिये। बच्चे सोते-सोते, भोजन करते-करते या टी.वी देखते-देखते पढाई करे यह सही नही है । बच्चो के पढाईवाले रुम में ईशान दिशा में बुद्धिप्रदाता गणेशजी एवं विद्याप्रदाता सरस्वतीजी की तस्वीर या मूर्ति रखे और धूप​-दीप हो सके ऐसी व्यवस्था होनी चाहिये। बच्चो को लंबी पूजाविधि करने के लिये ना कहे परंतु छोटे मन्त्र और स्त्रोत जो वो आसानी से कर पाये इस तरह उन्हे तैयार करे। जिससे बच्चो में सामाजिक​, धार्मिक और मानसिक उर्जा का संचार होगा

बच्चो का पढाईवाला रुम स्वच्छ रखे. इस रुम मे शांति एवं स्फ़ूर्ति के लिये हल्के रंग के पर्दे में आसमानी, हरा, या नीले रंग के मिश्रण का प्रयोग करे।. दीवार पर भी इसी रंग का प्रयोग करे एवं खिडकी और दरवाजा हो सके तो सफ़ेद रंग का रखे। पढाईवाले रुम में युद्धभूमि, हिसंक प्राणी ऐसे घातक चित्र ना लागाये अपितु सरस्वतीजी, गणेशजी, एवं प्रक्रति के रमणीय चित्र लगाये जिससे बच्चो का मन शांत और प्रफ़ुल्लित रहे। बच्चो के पढाईवाले रुम में रखी हुयी घडी हमेशा कार्यरत होनी चाहिये। हर बुधवार के दिन गणेशजी को साबूत मुंग चढाये। या हर बुधवार के दिन गाय को हरी घांस खिलाये। हो सके तो गणेश रुद्राक्ष गले में धारण करे

इन सब के अलावा कुछ उपाय भी कर सकते है जैसे..

हर रोज स्नान के पश्चात गणेशजी एवं सरस्वतीजी के मन्त्र का यथाशक्ति 11, 21, या एक माला का जाप करे.

"गणेश मन्त्र"

वक्रतुडं महाकाय सूर्यकोटिसमप्रभ !

निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा !!

"सरस्वती मन्त्र"

या देवी सर्वभूतेषु विद्यारुपेण संस्थिता !

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम​: !!


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