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पूर्णिमा मां लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है इस तरह मां लक्ष्मी को बुलाएं अपने घर

इस उपाय से मां लक्ष्मी आएंगी आपके घर और देंगी कभी न खत्म होने वाला धन का भंडार। लक्ष्मी मंदिर में 11 गुलाब के फूल चढ़ाएं, धन लाभ के योग बनेंगे। पितरों का तर्पण सर्वोत्तम माना गया है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 10 Feb 2017 09:00 AM (IST)Updated: Fri, 10 Feb 2017 09:56 AM (IST)
पूर्णिमा मां लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है इस तरह मां लक्ष्मी को बुलाएं अपने घर
पूर्णिमा मां लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है इस तरह मां लक्ष्मी को बुलाएं अपने घर

पूर्णिमा मां लक्ष्मी को अत्यंत प्रिय है। इस दिन मां लक्ष्मी की आराधना करने से जीवन में खुशियों की कमी नहीं रहती। माघी पूर्णिमा का महत्व अन्य पूर्णिमा से कहीं अधिक है। धर्म शास्त्रों के अनुसार, इस दिन खास उपाय करने से धन की देवी मां लक्ष्मी अपनी कृपा बरसाती हैं। सोने पर सुहागे का काम कर रहा है शुक्रवार का दिन। धन की देवी मां लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने के लिए यह दिन सर्वोत्तम है।

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प्रत्येक पूर्णिमा को प्रात: 5 बजे से 10.30 बजे तक मां लक्ष्मी का पीपल के वृक्ष पर निवास रहता है। भारतीय पंचांग के मुताबिक प्रत्येक माह के 30 दिनों में 15-15 दिनों के दो पक्ष होते हैं, शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। शुक्ल पक्ष का जिस दिन विश्राम होता है उस दिन को पूर्णिमा कहते हैं। चंद्रमा अपने पूर्ण आकार में नजर आता है। 10 फरवरी, शुक्रवार माघी पूर्णिमा है। इस दिन जो भी जातक मीठे जल में दूध मिलाकर पीपल के पेड़ पर चढ़ाता है उस पर मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। बरगद के वृक्ष पर सूत को लाल व पीला करके लपेटने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। बरगद के वृक्ष की जड़ में मीठी लस्सी (मीठा दही) चढ़ाने से मंगल, शनि राहू जैसे अनिष्ट ग्रह शांत होते हैं। रात लगभग 12 बजे महालक्ष्मी संग भगवान श्री हरि विष्णु का पूजन करें एवं रात को घर के मैन गेट पर गाय के घी का दीपक लगाएं।

इस उपाय से मां लक्ष्मी आएंगी आपके घर और देंगी कभी न खत्म होने वाला धन का भंडार। लक्ष्मी मंदिर में 11 गुलाब के फूल चढ़ाएं, धन लाभ के योग बनेंगे। पितरों का तर्पण सर्वोत्तम माना गया है। जलदान, अन्नदान, भूमिदान, वस्त्र एवं भोज्य पदार्थ दान करें, पितर तृप्त होंगे।ब्राह्मणों को भोजन कराएं। शाम को भगवान सत्यनारायण का पूजन करें और उन्हें धूप, दीप, नैवेद्य और चूरमा अर्पित करें। भगवान सत्यनारायण की कथा सुनें। जितना अधिक हो सके उतना अधिक चूरमें का प्रसाद बांटें। तिल, कंबल, कपास, गुड़, घी, मोदक, जूते, फल, अन्न आदि का दान करें।


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