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यहां चर्म रोग से निजात के लिए श्रद्धालु शरीर पर दरगाह की शक्कर का लेप लगाते

भारत और पाकिस्तान में रहने वाले लोगों की आस्था की प्रतीक बाबा चमलियाल की दरगाह राज्य सरकार की अनदेखी का खामियाजा भुगतरही है। राज्य पर्यटन विभाग के आधीन आ चुकी बाबा चमलियाल दरगाह पर सुविधाओं का भारी टोटा है। जबकि 25 जून को दरगाह पर लगने वाले वार्षिक मेले की

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 20 Jun 2015 03:59 PM (IST)Updated: Sat, 20 Jun 2015 04:47 PM (IST)
यहां चर्म रोग से निजात के लिए श्रद्धालु शरीर पर दरगाह की शक्कर का लेप लगाते

रामगढ़ भारत और पाकिस्तान में रहने वाले लोगों की आस्था की प्रतीक बाबा चमलियाल की दरगाह राज्य सरकार की अनदेखी का खामियाजा भुगतरही है। राज्य पर्यटन विभाग के आधीन आ चुकी बाबा चमलियाल दरगाह पर सुविधाओं का भारी टोटा है। जबकि 25 जून को दरगाह पर लगने वाले वार्षिक मेले की तैयारियां अंतिम चरण में है।

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हालांकि दरगाह के विकास के लिए करोड़ों रुपये खर्च तो हुए हैं, लेकिन उनका श्रद्धालुओं को दो पैसे का लाभ भी नहीं मिल रहा। बाबा की मजार के सौंदर्य के लिए कुछ खास नहीं किया गया है। दरगाह की खिड़कियों पर आज तक शीशे नहीं लगे। इसके अलावा भी अन्य सुविधाओं का टोटा श्रद्धालुओं की परेशानियों का कारण बन रहा है। बाबा चमलियाल दरगाह की हो रही अनदेखी से गांव पंचायत दग-छन्नी के सेवादार भी परेशान हैं। युवा सेवादारों ने दरगाह के साथ हो रही अनदेखी के लिए राज्य सरकार, पर्यटन विभाग तथा जिला प्रशासन को दोषी ठहराया है। जिस तरह से अंतरराष्ट्रीय स्तर की ऐतिहासिक दरगाह अनदेखी का शिकार हो रही है। उससे आने वाले समय में दरगाह पर आने वाले लाखों श्रद्धालुओं की आस्था को ठेस भी पहुंच सकती है। लेकिन इतना सब कुछ होने के बाद भी सरकार व प्रशासन विश्व प्रसिद्ध दरगाह का संपूर्ण विकास करने में असमर्थ साबित हो रहा है।

विश्व प्रसिद्ध बाबा चमलियाल दरगाह के विकास पर करोड़ों रुपये खर्च हुए, लेकिन आज तक दरगाह परिसर में बेहतर रसोईघर का निर्माण संभव नहीं हो पाया। दरगाह परिसर में बना अस्थायी रसोई घर स्टील चादरों से ढका हुआ है।

दशकों पुरानी स्टील चादरें भी जर्जर हो चुकी हैं। ऐसे में बारिश के दौरान श्रद्धालुओं की सेवा में मुहैया की जाने वाली लंगर सेवा को सेवक टपकती छत के बीच श्रद्धालुओं को मुहैया करते हैं। यह एक सबसे दुख की बात है कि आज तक दरगाह पर बेहतर रसोई घर नहीं बन पाया।


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