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मां ज्वालामुखी के दर चढ़ाया 50 लाख का चढ़ावा

विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्री ज्वालामुखी मंदिर में चैत्र नवरात्र के दौरान भक्तों ने 49 लाख 54 हजार 771 रुपये नकद चढ़ावा अर्पित किया। मंदिर अधिकारी तहसीलदार डॉ. अशोक पठानिया ने कहा कि नौवें नवरात्र पर भक्तों ने छह लाख 83 हजार 613 रुपये का चढ़ावा व 440 ग्राम चांदी मां

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 30 Mar 2015 12:24 PM (IST)Updated: Mon, 30 Mar 2015 12:26 PM (IST)
मां ज्वालामुखी के दर चढ़ाया 50 लाख का चढ़ावा

ज्वालामुखी। विश्व विख्यात शक्तिपीठ श्री ज्वालामुखी मंदिर में चैत्र नवरात्र के दौरान भक्तों ने 49 लाख 54 हजार 771 रुपये नकद चढ़ावा अर्पित किया। मंदिर अधिकारी तहसीलदार डॉ. अशोक पठानिया ने कहा कि नौवें नवरात्र पर भक्तों ने छह लाख 83 हजार 613 रुपये का चढ़ावा व 440 ग्राम चांदी मां के चरणों में अर्पित की।

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नकद चढ़ावे के अलावा 30 ग्राम सोना व नौ किलो 880 ग्राम चांदी भी मां के चरणों में अर्पित कर पुण्य प्राप्त किया। नवरात्र के दौरान साढ़े तीन लाख के करीब श्रद्धालुओं ने मां के चरणों में परिवार सहित माथा टेककर पुण्य कमाया।1कुछ दिन के लिए मंदिर को दिन-रात भी खुला रखा गया है, ताकि यात्रियों को लाइनों में लगकर मां के दर्शनों के लिए ज्यादा समय न बिताना पड़े। असामाजिक तत्वों पर नुकेल कसने के लिये सीसीटीवी कैमरों का प्रयोग किया गया।

नवरात्र के दौरान धारा 144 लागू रही। यात्रियों को ढोल-नगाढ़े, नारियल व तेजधार हथियार लेकर मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं थी। इसके अलावा यात्रियों को हमेशा की तरह इस बार भी परिक्रमा मार्ग से सुविधापूर्वक शांतिपूर्ण माहौल में मुख्य मंदिर के गर्भ गृह तक पहुंचाया गया और मां के दर्शन करवाने की व्यवस्था की गई।

यात्रियों को पानी, आवास, परिवहन सेवा, स्वास्थ्य सेवा, शौचालय, वाहन पार्किंग, सुरक्षा व अन्य मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवायी गई। इसके लिए मंदिर अधिकारी तहसीलदार डॉ. अशोक पठानिया ने जिला प्रशासन, पुलिस विभाग, विभिन्न विभागों के अधिकारियों, कर्मचारियों, पुजारी वर्ग, न्यास सदस्यों व शहर के लोगों का सहयोग के लिए धन्यवाद किया है। उन्होंने कहा कि मां ज्वालाजी के आशीर्वाद से शांतिपूर्ण माहौल में नवरात्र का समापन हुआ है।

चिंतपूर्णी में भीड़ के आगे मेला प्रशासन बेबस- चैत्र मेले में श्रद्धालुओं की कम उपस्थिति दर्ज होने के बाद सुस्ता रहे मंदिर प्रशासन की सांसे रविवार को अटकी हुई नजर आई। अप्रत्याशित और रिकार्ड भीड़ के आगे निस्संदेह मेला प्रशासन के दावों की हवा निकल गई, लेकिन इसका खामियाजा साठ हजार के करीब उन श्रद्धालुओं को भी भुगतना पड़ा, जो अगाध आस्था व श्रद्धा के साथ मां के दर हाजिरी लगवाने पहुंचे हुए थे। परिणामस्वरूप कई श्रद्धालुओं को बिना दर्शन किए हुए ही वापसी का रूख करना पड़ा तो मां के दर्शनों के लिए घंटों लाइन में लगे बच्चों व वृद्धों के लिए यह अनुभव किसी यातना से कम नहीं था।

हालांकि चैत्र नवरात्र मेला शनिवार को ही खत्म हो गया था लेकिन मेला प्रशासन की टीम को मेला क्षेत्र से हटाया नहीं गया था। मेला खत्म होने के बाद मेला प्रशासन की असली परीक्षा रविवार को हुई। मां के मंदिर में श्रद्धालुओं की लाइन करीब एक किलोमीटर तक लंबी खींच गई। मेला क्षेत्र खासकर भरवाईं से शंभू बाईपास तक के क्षेत्र में शनिवार शाम से ही पेयजल की भयंकर किल्लत रही, ऐसे में श्रद्धालुओं को खरीदकर पानी पीना पड़ा। उधर, मां के दर्शनों के लिए पंक्ति व्यवस्था भी हांफ-हांफ कर चलती रही। मां के दर्शनों को श्रद्धालुओं को करीब तीन से पांच घंटे तक का लम्बा इंतजार करना पड़ा। इसी बीच सवेरे हुई बारिश और पुराने बस अड्डे के समीप हुए झगड़े के बाद भी मुख्य बाजार में अफरा-तफरी का माहौल बन गया। इस दौरान यातायात व्यवस्था भी चरमराती रही।


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