जो व्यक्ति समय के प्रवाह के प्रति सजग होते हैं वास्तव में वे ही समय-योगी हैं
सच्चे योगी समय की पहचान के साथ-साथ सकारात्मक सृजन में खुद को लगा लेते हैं और उनका प्रत्येक कार्य समय-योग कहलाता है...
समय की पहचान योग
एक किसान रोज सोचा करता कि कल से मैं अपने खेत के चारों ओर बाड़े लगाने की शुरुआत कर दूंगा। रोज वह कल पर टालता, लेकिन उसका कल कभी नहीं आया और उसके खेत बिना बाड़े के ही रह गए। जब फसल
कटने के लिए तैयार हो गई, तो एक रात नील-गायों का झुंड आया और उसकी पूरी फसल चट कर गया। दरअसल, समय नदी के प्रवाह के समान है। यदि एक बार बह गया, तो दोबारा लौटकर नहीं आता। जिस व्यक्ति ने समय के महत्व को पहचान कर काम करना शुरू कर दिया, वास्तव में वह योगी के समान है और उसका किया गया कार्य समय-योग।
प्रकृति ने हमें जीवन-ऊर्जा प्रदान की है। समय-योग की सहायता से इसे अनुकूल बना कर सृजन किया जा सकता है। यदि उस सृजन में सत्य की शक्ति और सबके प्रति प्रेम का आकर्षण मौजूद हो, तो उसे परमानंद की प्राप्ति
हो सकती है। जैसा कि हम सभी जानते हैं कि समय के तीन आयाम हैं- अतीत, वर्तमान और भविष्य। समय के प्रवाह के प्रति सतत् जागरूक रहते हुए हमेशा वर्तमान क्षण में उपस्थित रहना ही समय-योग है। समय और श्रम एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं और यह श्रम की तीव्रता यानी गति से परिभाषित होता है। यदि श्रम की गति तीव्र है,
तो समय कम लगता है और यदि गति कम हो, तो समय अधिक लगता है। प्रत्येक कार्य को पूरा करने के लिए एक समय-सीमा निर्धारित होनी चाहिए। इसलिए समय-योगी अपने प्रत्येक कार्य की एक योजना बनाते हैं और
उस योजना को निर्धारित समय- सीमा के भीतर कार्यान्वित करने की आदत बना लेते हैं। रात्रि में नियत समय पर सो जाने और सुबह नियत समय पर जाग जाने का अभ्यास समय-योग का प्रारंभ है। प्रत्येक व्यक्ति को उपलब्ध समय, श्रमशक्ति और बुद्धि का भरपूर उपयोग करने का प्रयास करना चाहिए। इनका सदुपयोग नहीं करने से ये हमेशा के लिए नष्ट हो जाती हैं। हमारी बुद्धि हमेशा समय के खेत में श्रम के बीज बोने में लगी रहनी चाहिए। यह हमेशा श्रम और समय के सुनियोजन की दिशा में प्रेरित रहे, इसके लिए हमें अपने जीवन के उद्देश्य
की पूर्ति के लिए सतत् प्रयत्नशील रहना चाहिए। जो व्यक्ति समय के प्रवाह के प्रति सजग होते हैं, वास्तव में वे ही समय-योगी हैं।