दूसरे दिन भी उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़। क्षेत्र के छुड़ानी धाम में आयोजित भादो मेले में दूसरे दिन भी श्रद्धालुओं की अच्छी-खासी भीड़ उमड़ी। हरियाणा ही नहीं बल्कि दिल्ली, पंजाब से भी काफी संख्या में भक्त शीश नवाने के लिए पहुंचे। बुधवार को अखंड पाठ का समापन होगा। आयोजन में रेवाड़ी खेड़ा, छारा, कानौंदा, बादली, सांपला, जसौर खे
जागरण संवाददाता, बहादुरगढ़।
क्षेत्र के छुड़ानी धाम में आयोजित भादो मेले में दूसरे दिन भी श्रद्धालुओं की अच्छी-खासी भीड़ उमड़ी। हरियाणा ही नहीं बल्कि दिल्ली, पंजाब से भी काफी संख्या में भक्त शीश नवाने के लिए पहुंचे। बुधवार को अखंड पाठ का समापन होगा। आयोजन में रेवाड़ी खेड़ा, छारा, कानौंदा, बादली, सांपला, जसौर खेड़ी, मातन की संगत ने भंडारे में सेवा की। माता ओमवती ने महिला सेवादारों को आशीर्वाद दिया। दूसरे दिन श्रद्धालुओं को प्रवचन सुनाते हुए धाम के महंत दया सागर ने कहा कि मनुष्य जीवन जलधारा के समान है। यह धारा सुख-दुख रूपी ऊंची-नीची घाटियों को पार करती हुई निरंतर मृत्यु की ओर अग्रसर हो रही है। इसलिए प्रत्येक प्राणी को इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि मनुष्य जन्म सिर्फ खाने-पीने और सोने के लिए नहीं मिला है। यह काम तो पशु-पक्षी भी करते हैं। मानव जीवन को केवल इन्हीं बातों में गंवाना उचित नहीं है। कबीर साहिब ने कहा भी है
रैन गंवाई सोय कर, दिवस गंवाए खाय
हीरा जन्म अमोल था, कोड़ी बदले जाय।
यानी इस जन्म में ही मनुष्य श्रेष्ठ साधन अपनाकर लोक और परलोक दोनों संवार सकता है और खुद को नीची योनियों में जाने से बचा सकता है। यह मनुष्य तन बार-बार नहीं मिलता। यह मनुष्य जीवन तो काम की समाप्ति और राम की प्राप्ति के उद्देश्य के लिए मिला है। इसी जन्म में मनुष्य को इस उद्देश्य की पूर्ति करके सार्थकता हासिल करनी चाहिए। बंदी छोड़ गरीबदास महाराज जी ने फरमाया है कि मनुष्य खाक का पुतला है। जैसे राख के पुतले को हवा का मामूली झोका ढेर में बदल देता है उसी प्रकार मनुष्य का जीवन भी क्षणभंगुर है। जिस धन, संपत्ति, जमीन, जायदाद के अहंकार में चूर हम सब मस्त हो रहे हैं वह सब यही छोड़ कर हमें जाना होगा। हमारे सत्कर्म हमारे साथ जाएंगे। इस मौके पर संतों का पूजन भी किया गया। भंडारे का भी आयोजन हुआ।