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पिंडदानियों ने पूर्वजों को किया वैतरणी पार

गयाधाम के वैतरणी तालाब के तट पर में पिंडदान करने का विधान है। यहां पुरोहित द्वारा गाय की पूंछ पकड़ा कर पूर्वजों को वैतरणी पार कराया जाता है। कुछ ऐसा ही पितृपक्ष मेले के समापन की पूर्व संध्या पर सोमवार को काफी संख्या में पिंडदानियों ने गाय की पूं

By Edited By: Published: Tue, 23 Sep 2014 03:48 PM (IST)Updated: Tue, 23 Sep 2014 03:50 PM (IST)

गया नगर। गयाधाम के वैतरणी तालाब के तट पर में पिंडदान करने का विधान है। यहां पुरोहित द्वारा गाय की पूंछ पकड़ा कर पूर्वजों को वैतरणी पार कराया जाता है।

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कुछ ऐसा ही पितृपक्ष मेले के समापन की पूर्व संध्या पर सोमवार को काफी संख्या में पिंडदानियों ने गाय की पूंछ पकड़कर वैतरणी पार कराया।

पुरोहित ने अपने-अपने पिंडदानियों को गाय की पूंछ पकड़ा कर पूर्वजों का नाम याद कराया। पुरोहित ने पिंडदानी को कहा कि गयाधाम के वैतरणी में गाय की पूंछ पकड़कर पूर्वजों को बैकुंठ लोक में वास कराया जाता है। इस कारण से यहां पिंडदान दान करना अनिवार्य है। यहां सुबह से लेकर शाम तक गाय की पूंछ पकड़कर पिंडदान कराया गया है। वही दूसरी ओर से कुछ सीमित व्यापारी गाय या फिर गाय का बछड़ा लेकर वैतरणी तालाब के आस-पास अपनी दुकान खोलकर बैठे थे।

जैसा यजमान वैसी गाय या फिर उनके बछड़ा का दर तय था। कुल मिलाकर देखा जाए तो यहां शांतिपूर्ण और वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच देश व विदेश से आने वाले पिंडदानियों का पिंडदान कराया गया।


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