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दिवाली पर सिद्धी के लिए इस मंदिर में दुनियाभर से आते हैं तांत्रिक

दिवाली की रात हर ओर सिर्फ धूम-धड़ाम की ही आवाज आती है। पटाखों के शोर के बीच तंत्र साधना के मत्र पढ़े जाते हैं जब अमावस्‍या की काली रात में तंत्र की शक्ति कई गुना बढ जाती है।

By Prabhapunj MishraEdited By: Published: Wed, 18 Oct 2017 10:30 AM (IST)Updated: Wed, 18 Oct 2017 10:30 AM (IST)
दिवाली पर सिद्धी के लिए इस मंदिर में दुनियाभर से आते हैं तांत्रिक

आमवस्‍या की रात चरम पर होती है तंत्र साधना

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तंत्रिक अमावस्या की आधी रात को सिद्धि के लिए विशेष साधना करते है। लेकिन इस साधना में जगह और तांत्रिक मठों का भी उतना ही महत्व है। जबलपुर में भी दीपावली की रात को प्रमुख तांत्रिक मठों पर विशेष अनुष्ठान होंगे। बाजनामठ स्थित तांत्रिक मंदिर में पूजन का अलग महत्व है। इस प्राचीन तांत्रिक मठ पर अपनी साधना सिद्धि के लिए प्रति वर्ष दुनिया भर के तांत्रिक आते है। रहस्मयी जीवन जीने वाले तांत्रिक मठ तक भी बेहद गुप्त मार्ग से पहुंचते है। ब्रह्मपुराण के अनुसार कार्तिक महीने की अमावस्या की रात धन की देवी लक्ष्मी भू लोक पर आती हैं। लक्ष्मी की उपासना के पर्व का महत्व अलग है। इस दिन प्रति वर्ष दुनियाभर से तांत्रिक-साधक शहर आते है।

साधना के जरिए तंत्र-मंत्र जगाए जाते हैं

इस रात की गई साधना को विशेष फलदायी बताया गया है। यही वजह है कि आधी रात को साधना कर साधक तंत्र-मंत्र जगाते हैं। जबकि वैद्य व आयुर्वेद के जानकार औषधि जगाते हैं। सिद्ध तांत्रिकों के मतानुसार बाजनामठ का मंदिर एक ऐसा तांत्रिक मंदिर है जिसकी हर ईंट शुभ नक्षत्र में मंत्रों द्वारा सिद्ध करके जमाई गई है। ऐसे मंदिर पूरे देश में कुल तीन हैं जिनमें एक बाजनामठ तथा दूसरा काशी और तीसरा महोबा में हैं। बाजनामठ का निर्माण 1520 ईस्वी में राजा संग्राम शाह द्वारा बटुक भैरव मंदिर के नाम से कराया गया था। कहते हैं कि इस मठ के गुंबद में त्रिशूल से निकलने वाली प्राकृतिक ध्वनि-तरंगों से शक्ति जागृत होती है। 

दिवाली की रात लगता है तांत्रिकों का मेला

तंत्र शास्त्र के अनुसार भैरव को जागृत करने के लिए उनका आह्वान तथा स्थापना नौ मुण्डों के आसन पर ही की जाती है। जिसमें सिंह, श्वान, शूकर, भैंस और चार मानव-ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र इस प्रकार नौ प्राणियों की बली चढ़ाई जाती है। समय के साथ यहां बलि प्रथा समाप्त हो चुकी है। इतिहासकारों व पुरातत्वविदें के अनुसार तांत्रिक साधना केन्द्र बाजनामठ के अलावा चौसठयोगिनी मंदिर भी तंत्र साधना के बड़े केन्द्र रहे हैं। दोनों मठों को सिद्ध साधना केन्द्र माना जाता है। यहां दूर-दूर से साधक आते हैं। बाजनामठ के अलावा भेड़ाघाट स्थित गोलकीमठ विश्वविद्यालय के तांत्रिक साधना केन्द्र चौसठयोगिनी मंदिर पहुंचते है। यहां दिवाली की रात तांत्रिकों का मेला लगता है।


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