आज शनिचरी अमावस्या: विशेष पुण्यदायी फल का दिन
शनिदेव की पूजा करने का सबसे बड़ा अवसर शनिचरी अमावस्या होता है इसलिए ऐसे अवसर का लाभ उठाकर ईश्वरीय आराधना अवश्य करनी चाहिये।
- पंडित 'विशाल' दयानंद शास्त्री
इस वर्ष शनिचरी अमावस्या 18 अप्रैल (शनिवार) के दिन मनाई जाएगी शनिचरी अमावस्या को की जाने वाली पूजा-अर्चना से विशेष पुण्यदायी फल भी मिलता है। इसका परिणाम बहुत लाभकारी होता हैं।
शनिदेव की पूजा करने का सबसे बड़ा अवसर शनिचरी अमावस्या होता है इसलिए ऐसे अवसर का लाभ उठाकर ईश्वरीय आराधना अवश्य करनी चाहिये।
पितृदोष से मुक्ति दिलाए
शनि अमावस्या, पितृकार्येषु अमावस्या के रुप में भी जानी जाती है। कालसर्प योग, ढैय्या तथा साढ़ेसाती सहित शनि संबंधी अनेक बाधाओं से मुक्ति पाने का यह दुर्लभ समय होता है । शनिवार के दिन अमावस्या का समय हो इस कारण इसे शनि अमावस्या कहा जाता है।
शनि अमावस्या के अवसर पर अनेक श्रद्धालु नदियों एवं सरोवर में श्रद्धा की डुबकी लगाते हैं। अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंड दान भी करते हैं ।
इसी दिन सावित्री ने शनिदेव से अपने पति की प्राण वापस लिए थे और शनिचरी अमावस्या के दिन दान और तर्पण करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
सनातन संस्कृति के अनुसार वंशजों का यह कर्तव्य है कि वे अपने माता-पिता और पूर्वजों के निमित्त कुछ ऐसे शास्त्रोक्त कर्म करें जिससे उन मृत आत्माओं को परलोक में अथवा अन्य योनियों में भी सुख की प्राप्ति हो सके।
शास्त्रोक्त विधि से किया हुआ श्राद्ध सदैव कल्याणकारी होता है परन्तु जो लोग शास्त्रोक्त समस्त श्राद्धों को न कर सकें, उन्हें कम से कम आश्विन मास में पितृगण की मरण तिथि के दिन श्राद्ध अवश्य ही करना चाहिए।
(साभार : नई दुनिया)