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श्रीधाम को सिद्ध संतों ने आलौकिक किया

जंगल में परिणित वृंदावन सहित संपूर्ण ब्रज मंडल को पुन: प्रकट करने वाले चैतन्य महाप्रभु ने श्रीकृष्ण भक्ति की धारा को नई गति प्रदान की। पांच सौ सालों से श्रीधाम भूमि से सैकड़ों सिद्ध संतों ने श्रीकृष्ण भक्ति को पूरे विश्व में आलौकिक किया है। ये विचार पानी घाट दुर्गापुरम

By Rajesh NiranjanEdited By: Published: Sun, 01 Feb 2015 12:13 PM (IST)Updated: Sun, 01 Feb 2015 12:22 PM (IST)
श्रीधाम को सिद्ध संतों ने आलौकिक किया

वृंदावन। जंगल में परिणित वृंदावन सहित संपूर्ण ब्रज मंडल को पुन: प्रकट करने वाले चैतन्य महाप्रभु ने श्रीकृष्ण भक्ति की धारा को नई गति प्रदान की। पांच सौ सालों से श्रीधाम भूमि से सैकड़ों सिद्ध संतों ने श्रीकृष्ण भक्ति को पूरे विश्व में आलौकिक किया है।

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ये विचार पानी घाट दुर्गापुरम स्थित धामेश्वर महाप्रभु मंदिर में आयोजित चैतन्य महाप्रभु वृंदावन आगमन के पंचशती के अवसर पर आयोजित संत सम्मेलन में संत, महंत और आचार्यों ने व्यक्त किए। संत फूलडोल बिहारी दास ने कहा कि पांच सौ साल पहले वृंदावन क्या ब्रज की पहचान खोई थी। प्रभु के अवतारी चैतन्य महाप्रभु ने इसको पुन: प्रकाशित किया।

संत बाबा गोविंद दास ने कहा कि श्री राधाकृष्ण के सम्मिलित अवतार भगवान चैतन्य महाप्रभु आज से पांच सौ साल पहले वृंदावन में इमलीतला पर आए। उन्होंने संसार को श्रीधाम से आलौकिक कर भक्ति रस की धारा बहाई।

महंत प्रेम दास शास्त्री और महंत ब्रज बिहारी दास ने कहा कि वृंदावन चैतन्य महाप्रभु के प्राण स्वरूप है। वे घोर जंगल में परिणित वृंदावन के लिए रोते थे। वे संन्यास के पश्चात जब वृंदावन आए तो सघन वन, यमुनाजी और पशु-पक्षियों के दर्शन कर भावविह्वल हो उठे।

स्वामी जगन्नाथ दास, आचार्य बिहारी लाल वशिष्ठ, गोपीरमण दास, रमेश चंद्र विधिशास्त्री, तमालकृष्ण दास, महंत लाड़ली दास, महंत राधारमण दास, संत प्रेमानंद दास, डा. विनोद बनर्जी, भक्तमाल दास आदि ने विचार प्रकट किए। संचालन राधामाधव दास ने और आभार राधाचरण दास ने प्रकट किया।

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