गुनाहों की मगफरत है शब-ए-कद्र की रात
माहे रमजान को इबादत और बरकतों का महीना कहा गया है। इस पाक महीने में इबादत गुजारों की बहुत बड़ी संख्या मस्जिदों तक पहुंचती है। इबादत करने के बाद सड़क पर भी रोजेदार पंक्तिबद्ध होकर याद-ए-इलाही में मशगूल हो जाते हैं। रमजान के पाक महीने में इबादत का सवाब सबसे
इलाहाबाद। माहे रमजान को इबादत और बरकतों का महीना कहा गया है। इस पाक महीने में इबादत गुजारों की बहुत बड़ी संख्या मस्जिदों तक पहुंचती है। इबादत करने के बाद सड़क पर भी रोजेदार पंक्तिबद्ध होकर याद-ए-इलाही में मशगूल हो जाते हैं। रमजान के पाक महीने में इबादत का सवाब सबसे ज्यादा होता है। ऐसा मत है कि माहे रमजान में ही पाक कुरान पृथ्वी पर अवतरित हुई है। यही कारण है कि इस महीने में कुरानपाक का पाठ हर जगह किया और करवाया जाता है। रमजान माह में शब-ए-कद्र की रात को मगफरत (माफी) के रूप में भी जाना जाता है।
रमजान के पाक महीने का अंतिम सप्ताह शब-ए-कद्र वाला होता है। रोजेदार पूरी रात जागकर कुरान पाक का पाठ एवं अल्लाह की इबादत करने में मशगूल रहते हैं। इस रात अल्लाह की महानता पर पूर्ण विश्वास करके इबादत किया जाए तो वर्ष भर किए गए गुनाहों की मगफरत (माफी) हो जाती है। शब-ए-कद्र की इबादत का तजकिरा कुरान-ए-पाक में भी कई स्थानों पर आया है। दारूल तसनीफ वलतहकीक के प्रवक्ता मौलाना हारून साकिब कासमी बताते हैं कि रोजा की 21 से 27वीं रात तक शब-ए-कद्र की होती है। इसमें रोजेदार द्वारा की गई इबादत का सवाब सबसे ज्यादा मिलता है।
दो व तीन को मनेगा जश्न : हजरत इमाम हसन अलैहस्सलाम की पैदाइश पर दो व तीन जुलाई को जश्न का आयोजन होगा। दरगाह मौला अली प्रबंध समिति दरियाबाद के अध्यक्ष सैयद अजादार हुसैन ने बताया कि इस मौके पर मस्जिदों को सजाकर महफिल का आयोजन होगा। ‘दुनिया को इस्लाम की देन व तालीमाते मुहम्मदी’ पर चर्चा होगी। बताया कि दो जुलाई को कदीम मस्जिद में मुश्ताक हैदर के संयोजन में और तीन जुलाई को दरियाबाद में कार्यक्रम होगा।