ब्रज अस्तित्व के वो सात दिन, सात रातें
सुराधिपति इंद्र की पूजा छीनकर गोवर्धन पूजा कराने वाले सात बरस के सांवरे को ब्रजभूमि एवं ब्रजजनों का अस्तित्व बचाने के लिए सात दिन सात रात तक सात कोस गिरिराज को बांये हाथ की कनिष्ठका अंगुली पर धारण करना पड़ा था। ऐसे अनगिनत स्वर्णिम साक्ष्यों से इतिहास भरा पड़ा है कि भक्तों की रक्षा के लिए भगवान को न सिर्फ अवतार लेना पड़ा
गोवर्धन। सुराधिपति इंद्र की पूजा छीनकर गोवर्धन पूजा कराने वाले सात बरस के सांवरे को ब्रजभूमि एवं ब्रजजनों का अस्तित्व बचाने के लिए सात दिन सात रात तक सात कोस गिरिराज को बांये हाथ की कनिष्ठका अंगुली पर धारण करना पड़ा था। ऐसे अनगिनत स्वर्णिम साक्ष्यों से इतिहास भरा पड़ा है कि भक्तों की रक्षा के लिए भगवान को न सिर्फ अवतार लेना पड़ा बल्कि कष्ट भी सहन करने पड़े।
ब्रजभूमि की रक्षा को खड़े रहे कान्हा के इतिहास को समेटे गोवर्धन स्थित हरदेव मंदिर द्वापर युगीन विरासत को सहेजे हुये है। धार्मिक मान्यता के अनुसार जब भगवान श्रीकृष्ण ने इन्द्र की पूजा छुड़ाकर गिरिराज जी की पूजा करवाई तब इंद्र ने कोप करके ब्रज को नष्ट करने के लिए सात दिन और सात रात बरसात करायी।
गर्ग संहिता के अनुसार इसी स्थान पर खड़े होकर भगवान श्रीकृष्ण ने गिरिराज जी को अपने बांए हाथ की कनिष्ठका अंगुली पर धारण किया। आज भी उसी स्वरूप की झांकी हरदेव मंदिर में विराजमान है।
श्रीकृष्ण-कृपा धाम के शिष्यों ने साफ किया परिक्रमा मार्ग-
बुधवार को नगर पालिका परिषद और श्रीकृष्ण-कृपा धाम व वृंदावन बंधु के संयुक्त तत्वावधान में परिक्त्रमा मार्ग की झाड़ू लगाकर सफाई की गई। इस कार्य में पालिका के सफाई कर्मचारियों व गीतामनीषी ज्ञानानंद के 500 शिष्यों-भक्तगणों और स्वयं-सेवकों ने सहभागिता दिखाई।
सफाई कार्य के लिये पालिका कर्मियों और शिष्य-भक्तगणों की दो टीमों का गठन किया गया। पहली टीम ने श्रीकृष्ण-कृपा धाम से लेकर केशीघाट और दूसरी टीम द्वारा श्रीकृष्ण-कृपाधाम से चीर घाट तक सफाई की गई। इस अवसर पर महंत फूलडोलबिहारी दास, आचार्य बद्रीश, भागवताचार्य संजीवकृष्ण ठाकुर, सौरभ गौड़, सत्यभान, डॉ. गोपाल चतुर्वेदी, गोपेश्वनाथ चतुर्वेदी, बिहारी लाल वशिष्ठ, आलोक महाराज, प्रो.तिरुपति स्वामी, श्रीकृष्ण गौतम, योगेश भगत, महंत सुतीक्ष्णदास आदि मौजूद रहकर सफाई कार्य की सराहना की।
मोबाइल पर ताजा खबरें, फोटो, वीडियो व लाइव स्कोर देखने के लिए जाएं m.jagran.com पर