शाही स्नान को लेकर अखाड़ा परिषद के धड़ों में तनातनी
अर्धकुंभ में शाही स्नान को लेकर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और नई अखाड़ा परिषद आमने-सामने आ गईं। महंत ज्ञानदास की अगुआई वाली अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अर्धकुंभ में शाही स्नान के पक्ष में नहीं है, जबकि महंत नरेंद्र गिरि के नेतृत्व वाली नई अखाड़ा परिषद का कहना है कि शाही
हरिद्वार। अर्धकुंभ में शाही स्नान को लेकर अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद और नई अखाड़ा परिषद आमने-सामने आ गईं। महंत ज्ञानदास की अगुआई वाली अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अर्धकुंभ में शाही स्नान के पक्ष में नहीं है, जबकि महंत नरेंद्र गिरि के नेतृत्व वाली नई अखाड़ा परिषद का कहना है कि शाही स्नान का निर्णय अखाड़ा परिषद की बैठक में होगा, मुख्यमंत्री संग संतों की बैठक में नहीं।
वर्ष 2016 में होने वाले हरिद्वार अर्धकुम्भ में शाही स्नान की पंरपरा शुरू करने को लेकर अखाड़ों के बीच सुगबुगाहट चल रही है। बीते रोज मुख्यमंत्री के साथ अर्धकुंभ को लेकर संतों के साथ हुई बैठक के बाद इन चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया। हालांकि, मुख्यमंत्री ने बैठक के बाद स्पष्ट कर दिया था कि परंपरा को बनाए रखा जाना चाहिए। उन्होंने सरकार की तरफ से कोई नई परंपरा न डालने के संकेत दिए। इधर, शाही स्नान के मुद्दे पर दोनों अखाड़ा परिषदों में टकराव के हालात बनते दिख रहे हैं।
नई अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष इलाहाबाद बाघम्बरी गद्दी के परमाध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि महाराज ने फोन पर हुई वार्ता में कहा कि शनिवार को मुख्यमंत्री संग संतों की बैठक थी न कि अखाड़ा परिषद की। इस बैठक में शाही स्नाने के बारे में फैसला लेना सही नहीं। उन्होंने कहा कि सभी तेरह अखाड़ों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर इस मसले पर सर्वसम्मति से निर्णय लिया जाएगा। इसी कड़ी में, महंत ज्ञानदास के नेतृत्व वाली अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का कहना है कि अर्धकुंभ में किसी भी नई परंपरा के खिलाफ है, ऐसा नहीं होने दिया जायेगा। परिषद के प्रवक्ता बाबा हठोगी ने कहा कि नई परंपरा अखाड़ों की एकता को प्रभावित करेगी। कहा कि यह कुंभ और अर्धकुंभ का माहौल बिगाडऩे की कोशिश है।