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पिंडदान मोक्ष प्राप्ति का एक सहज और सरल मार्ग है

पिंडदान की परंपरा सृष्टि के रचनाकाल से ही शुरू है। जिसका वर्णन वायु पुराण, अग्नि पुराण और गरुण पुराण में है। पिंडदान मोक्ष प्राप्ति का एक सहज और सरल मार्ग है। दक्षिणाभिमुख होकर, आचमन कर अपने जनेऊ को दाएं कंधे पर रखकर चावल, गाय का दूध, घी, शकर एवं शहद को

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 10 Oct 2015 02:39 PM (IST)Updated: Sat, 10 Oct 2015 03:01 PM (IST)
पिंडदान मोक्ष प्राप्ति का एक सहज और सरल मार्ग है

पिंडदान की परंपरा सृष्टि के रचनाकाल से ही शुरू है। जिसका वर्णन वायु पुराण, अग्नि पुराण और गरुण पुराण में है। पिंडदान मोक्ष प्राप्ति का एक सहज और सरल मार्ग है।

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दक्षिणाभिमुख होकर, आचमन कर अपने जनेऊ को दाएं कंधे पर रखकर चावल, गाय का दूध, घी, शकर एवं शहद को मिलाकर बने पिंडों को श्रद्धा भाव के साथ अपने पितरों को अर्पित करना पिंडदान कहलाता है।

जल में काले तिल, जौ, कुशा एवं सफेद फूल मिलाकर उस जल से विधि पूर्वक तर्पण किया जाता। मान्यता है कि इससे पितर तृप्त होते हैं। श्राद्ध के बाद ब्राह्मण को भोजन कराकर दी जाने वाली तृप्ति पितरों को भी संतुष्ट करती है।

12 तरह के पिंडदान

  • प्रथम पिण्ड देवताओं के निमित्त
  • दूसरा पिण्ड ऋषियों के निमित्त
  • तीसरा पिण्ड दिव्य मानवों के निमित्त
  • चौथा पिण्ड दिव्य पितरों के निमित्त
  • पांचवां पिण्ड यम के निमित्त
  • छठवां पिण्ड मनुष्य-पितरों के निमित्त
  • सातवां पिण्ड मृतात्मा के निमित्त
  • आठवां पिण्ड पुत्रदार रहितों के निमित्त
  • नौवां पिण्ड उच्छिन्ना कुलवंश वालों के निमित्त
  • दसवां पिण्ड गर्भपात से मर जाने वालों के निमित्त
  • ग्यारहवां पिण्ड इस जन्म या अन्य जन्म के बंधुओं के निमित्त
  • बारहवां पिण्ड अपने अज्ञात पूवजों व बंधुओं के निमित्त

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