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नवरात्र पर बाजार होने लगे गुलजार, रामलीला का आयोजन

नवरात्र शुरू होने में दो दिन बाकी है और बाजार सज गए हैं। साथ ही बाजारों में ग्राहकों की आवाजाही एकाएक बढ़ गई है। जिस कारण पिछले कई दिनों से बाजारों में पसरा सन्नाटा छंट गया है। श्राद्ध पक्ष के कारण महानगर के बाजारों में ग्राहकों की चहल पहल काफी कम हो गई थी। खासकर किराना कारोबार की स्थि

By Edited By: Published: Thu, 03 Oct 2013 12:06 PM (IST)Updated: Thu, 03 Oct 2013 02:25 PM (IST)
नवरात्र पर बाजार होने लगे गुलजार, रामलीला का आयोजन

गाजियाबाद। नवरात्र शुरू होने में दो दिन बाकी है और बाजार सज गए हैं। साथ ही बाजारों में ग्राहकों की आवाजाही एकाएक बढ़ गई है। जिस कारण पिछले कई दिनों से बाजारों में पसरा सन्नाटा छंट गया है।

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श्राद्ध पक्ष के कारण महानगर के बाजारों में ग्राहकों की चहल पहल काफी कम हो गई थी। खासकर किराना कारोबार की स्थिति खस्ता थी लेकिन अब ग्राहकों की संख्या में लगातार इजाफा हो गया है।

महानगर की किराना मंडी हो या फिर घंटाघर, चौपला मंदिर, अग्रसेन बाजार, डासना गेट, दिल्ली गेट, मालीवाड़ा, गांधीनगर समेत लगभग सभी बाजारों की स्थिति एक जैसी है। किराना मंडी की दुकानों पर किराना के साथ साथ पूजा सामग्री व व्रत में काम आने वाला सामान भी बेचा जा रहा है। दुकानदारों ने पूजा सामग्री जैसे चुनरी, नारियल के साथ साथ व्रत का सामान भी सजा हुआ है। गाजियाबाद रिटेलर्स एसोसिएशन के महामंत्री देवेंद्र हितकारी का कहना है कि बाजारों में पिछले चार पांच दिनों से नवरात्र की तैयारियां चल रही हैं लेकिन लेकिन दो तीन दिनों से बाजारें में ग्राहक व्रत का सामान आकर खरीद रहे हैं। मिलावट की आशंका के मद्देनजर लोग ब्रांडेड सामान ज्यादा खरीद रहे हैं।

व्यापारी पवन चावला कहते हैं कि श्राद्ध पक्ष के चलते बाजार में ग्राहक कम थे लेकिन अब ग्राहकों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है। पांच अक्टूबर से नवरात्र शुरू होने जा रहा है।

बाजार में रोली के चावल, कलावा, सुपारी, चुन्नी, नारियल, मिटटी का कलश, लोंग, अगर बत्ती,धूप बत्ती दुकानदारों ने बिक्री के लिए रखी है। वहीं व्रत का सामान कुट्टू, कुट्टू की गिरी, सिंघाड़ा, सामक के चावल, पोसाई चावल, खरबूजे के बीज, किशमिश, गोला दुकानों पर उपलब्ध हैं।

सर्वधर्म का संदेश देती है पुराने विजयनगर की रामलीला-

पुराने विजयनगर की रामलीला सिर्फ लोगों को राम की लीला के बारे में ही नहीं बताती बल्कि यह लोगों को सर्व धर्म से भी जोड़ती है। पिछले 52 वर्षो से हो रही श्री विजय रामलीला कमेटी का मंचन देखने के लिए लोगों की भारी भीड़ उमड़ती है।

इतिहास

पुराने विजयनगर में वर्ष 1962 में कंछी लाल प्रधान ने कुंआ वाली गली में रामलीला की छोटी सी शुरूआत की। जिसके मंचन में स्थानीय लोग बढ़चढ़ कर भाग लेते थे। इसके बाद समय के साथ रामलीला का विस्तार होता गया। वर्ष 1996 मे भव्य स्तर रामलीला आयोजित की गई,जिसमें पहली बार रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतले फूंके गए। वर्तमान में यह लाईनपार क्षेत्र की सबसे बड़ी रामलीला मानी जाती है। दो लाख के बजट में होने वाली इस रामलीला को देखने के लिए प्रतिदिन दो हजार से अधिक लोग देखने आते हैं।

विशेषता

-रामलीला की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसकी कमेटी के सदस्य सभी धर्मो के हैं। अध्यक्ष जानसन मैसी ईसाई धर्म के हैं,सह सचिव असलम खान मुस्लिम हैं। अलग धर्म होने के बावजूद भी सभी सदस्य प्रेमभाव से राम की इस लीला के आयोजन में बढ़चढ़ कर भाग लेते हैं।

-रामलीला मैदान में मनोरंजन की जगह मंचन को अधिक महत्व दिया जाता है,इसलिए यहां पर क्रय विक्रय और मनोरंजन काफी कम होता है और मंचन को प्राथमिकता दी जाती है।

-जमीन पर बैठकर ही सभी लोग मंचन देखते हैं।

-पिछले 35 वर्षो से जॉनसन मैसी ही रामलीला कमेटी के निर्विरोध अध्यक्ष बने हुए हैं।

आकर्षण

-इस बार रामलीला में पुतलों के कद को बढ़ाया गया है। रावण का पुतला 45 फुट का होगा। बाकी पुतले 40 और 35 फुट के हैं।

-सुरक्षा की विशेष व्यवस्था की गई है। 35 वालियंटर्स रामलीला मैदान की सुरक्षा व्यवस्था संभालेंगे।

-भव्य स्तर पर रामलीला आयोजित की जाएगी। जिसमें मंच को पूर्व की अपेक्षा आकर्षक रूप दिया गया है।

-इस बार मथुरा के कलाकार मंचन करेंगे।

रामलीला के सफल आयोजन की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है। गत वर्षो की अपेक्षा इस बार भव्य रूप से रामलीला आयोजित होगी।

जॉनसन मैसी,अध्यक्ष

रामलीला के आयोजन में हर प्रकार की सावधानी बरती गई है। सुरक्षा व्यवस्था का भी पूरा ध्यान रखा गया है।

लेखराज माहौर,महामंत्री

समाज की कुरीतियों को रामलीला के माध्यम से भी दूर किया जा सकता है। इसलिए काफी कुछ रामलीला में नया किया गया है।

असलम खान,सह सचिव

रामलीला के धार्मिक कार्यक्रम

3 अक्टूबर-रागिनी कार्यक्रम

4 अक्टूबर-नारद मोह,रावण संवाद

5 अक्टूबर-रावण तपस्या,श्रवण कुमार मंचन

6 अक्टूबर-सीता जन्म,ताड़का वध

7 अक्टूबर-सीता स्वयंवर,राम बारात

8 अक्टूबर-कैकेयी कोपभवन,राम वनवास

9 अक्टूबर-सूर्पणखा नासिका भंग,सीता हरण

10 अक्टूबर-सुग्रीव मिलन,बाली वध

11 अक्टूबर-लंका दहन

12 अक्टूबर-समुद्र तट पर शिवलिंग स्थापना,लक्ष्मण शक्ति

13 अक्टूबर-रावण,कुंभकरण,मेघनाद वध

14 अक्टूबर- राम-भरत मिलाप,आतिशबाजी

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