जूना अखाड़ा में एक हजार से ज्यादा ने ली नागा संन्यासी की दीक्षा
तेज बारिश और साधुओं के स्नान को देखकर वहां मौजूद अखाड़े के संत भी कहने लगे आज से पहले ऐसे मौके पर नहीं हुई बारिश।
उज्जैन। जूना अखाड़ा के एक हजार से ज्यादा दीक्षार्थी गुरुवार को जब शिप्रा नदी के भूखी माता पर तर्पण करने घाट पर पहुंचे तो पानी में पहली डुबकी लगाते ही तेज बारिश शुरू हो गई। साधुओं ने हर-हर महादेव का जयघोष करते हुए स्नान किया और इसके बाद तर्पण की क्रिया पूरी की। तेज बारिश और साधुओं के स्नान को देखकर वहां मौजूद अखाड़े के अन्य संत भी कहने लगे आज से पहले सिंहस्थ में ऐसे मौके पर कभी बारिश नहीं हुई।
दत्त अखाड़ा जोन स्थित जूना अखाड़ा में गुस्र्वार सुबह 7 बजे से दीक्षा की प्रक्रिया शुरू हुई। 24 घंटे चलने वाली प्रक्रिया के तहत सुबह सबसे पहले पंच केश विसर्जन क्रिया हुई। इसके तहत अखाड़े की चारों मढ़ियों के दीक्षार्थियों का मुंडन किया गया। मुंडन के बाद दोपहर तक सभी कैंप में ही बैठे रहे और हर-हर महादेव का जयघोष होता रहा।
पूरी क्रिया के दौरान दीक्षार्थियों ने केवल पानी व फलहार ही ग्रहण किया। मुंडन क्रिया के बाद दोपहर 3.53 बजे सभी जयघोष करते हुए कतारबद्ध होकर तर्पण के लिए शिप्रा नदी के भूखी माता घाट के लिए रवाना हुए।
अब कहलाएंगे अवधूत
दीक्षा की प्रक्रिया पूरी कराने के बाद सभी अवधूत कहलाएंगे। 9 मई को अमृत स्नान करने के बाद कुछ नागा साधु हो जाएंगे तो कुछ अवधूत ही रहेंगे।
दिव्यांग भी बने संन्यासी
दीक्षार्थियों में कुछ दिव्यांग भी थे। उन्होंने भी गुरुवार से अपने नए जीवन की शुरुआत की। मथुरा के महेंद्र गिरीजी महाराज 18 वर्षों से नागा है लेकिन उनकी दीक्षा गुरुवार को हुई। वे दोनों पैरों से चलने में असमर्थ हैं और बेसाखी की सहायता से चलते हैं। दीक्षा लेकर वे पूरी तरह नागा साधू बन गए।