गंगा के बहाव को लेकर सरकार संजीदा
गंगा की धारा पर बनी हाइड्रो-ऊर्जा परियोजनाओं के कारण उसके "ई-फ्लो" में रुकावट न आए, इसके लिए जल संसाधन, पर्यावरण एवं ऊर्जा मंत्रालयों के बीच बातचीत चल रही है। सरकार की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि किसी भी कारण से गंगा को विद्रूपित नहीं होने
नई दिल्ली। गंगा की धारा पर बनी हाइड्रो-ऊर्जा परियोजनाओं के कारण उसके "ई-फ्लो" में रुकावट न आए, इसके लिए जल संसाधन, पर्यावरण एवं ऊर्जा मंत्रालयों के बीच बातचीत चल रही है। सरकार की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि किसी भी कारण से गंगा को विद्रूपित नहीं होने दिया जाएगा।
उसकी अविरल धारा बरकरार रखने के लिए सरकार कृतसंकल्प है। उसके नैसर्गिक स्वरूप को बचाने के लिए हरसंभव प्रयास किए जाएंगे।
लोकसभा में एक सवाल के जवाब में जल संसाधन राज्य मंत्री सांवर लाल जाट ने कहा, "गंगा की उपधाराओं या उसकी मुख्य धारा पर सिंचाई और हाइड्रो परियोजनाओं के निर्माण के दौरान उसके ई-फ्लो से जुड़े प्रावधान थे ही नहीं या उनकी संख्या बेहद कम थी।"
जल संसाधन राज्य मंत्री ने बताया कि प्रत्येक मौसम में किसी भी नदी को अपने प्राणिवर्ग को बचाने के लिए जितने पानी की जरूरत होती है उसे उसका ई-फ्लो (एन्वायर्नमेंटल फ्लो) कहा जाता है।
उन्होंने बताया कि इसके लिए उनका मंत्रालय पर्यावरण, वानिकी एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालयों के साथ बात कर रहा है ताकि गंगा में सभी हाइड्रो-ऊर्जा परियोजनाओं से बिना रुके पानी आता रहे और उसका मूल स्वरूप नष्ट न होने पाए।
एक अन्य सवाल के जवाब में केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती ने कहा कि प्रदूषण फैलाने के मामले में दोषी लोगों पर कानूनी कार्रवाई के लिए एक कमेटी गठित की गई है।
वह इससे जुड़े कानूनी प्रावधानों का आकलन करेगी। उमा भारती ने बताया कि मौजूदा समय में दोषियों पर 1986 के जल संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण कानून के तहत कार्रवाई होती है।
उन्होंने बताया कि गंगा में 75 फीसद प्रदूषण उसमें जा मिलने वाले गंदे पानी के कारण होता है। गंगा की मुख्यधारा में प्रतिदिन पहली और दूसरी श्रेणी के शहरों से 35 करोड़ लीटर गंदा पानी गिरता है।