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माता मंदिर में लाखों के प्रसाद में हुआ हेर फेर

अभी तक माता शीतला का दर्शन करने वाले ही अव्यवस्था से परेशान थे। बोर्ड प्रबंधन के ढुलमुल रवैये से माता के प्रसाद की बिक्री के लिए रखे गए ठेकेदारों ने भी हेर फेर करना शुरू कर दिया। हालांकि पकड़े जाने के बाद ठेकेदार ने पल्ला झाड़ लिया। बोर्ड प्रबंधन ने भी पकड़े गए कर्मियों पर जुर्माना लगाकर छोड़ दिया।

By Edited By: Published: Thu, 17 Apr 2014 12:42 PM (IST)Updated: Thu, 17 Apr 2014 12:56 PM (IST)

गुड़गांव। अभी तक माता शीतला का दर्शन करने वाले ही अव्यवस्था से परेशान थे। बोर्ड प्रबंधन के ढुलमुल रवैये से माता के प्रसाद की बिक्री के लिए रखे गए ठेकेदारों ने भी हेर फेर करना शुरू कर दिया। हालांकि पकड़े जाने के बाद ठेकेदार ने पल्ला झाड़ लिया। बोर्ड प्रबंधन ने भी पकड़े गए कर्मियों पर जुर्माना लगाकर छोड़ दिया।

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वैसे तो हर बार प्रसाद बिक्री का ठेका ठेकेदारों को तहबाजारी के तहत दे दिया जाता रहा है। इस बार बोर्ड प्रबंधन ने प्रसाद स्वयं बेचने का निर्णय लिया। मेला प्रांगण में 33 दुकानों की योजना बनाई। मेला प्रांगण के बराबर जगह लाखों रुपये किराए पर ले लिया। प्रसाद, चुन्नी व नारियल की खरीददारी कर ठेकेदारों को सौंप दिया। यहीं पर प्रसाद की पैकिंग का काम शुरू हो गया।

जिसमें तय यह था कि ठेकेदार प्रसाद की पैकिंग कर दुकानदारों को सप्लाई करेंगे। पहले तो ठेकेदारों की भरपाई के लिए बोर्ड प्रबंधन ने सौ रुपये से कम के प्रसाद में चढ़ावे के लिए नारियल नहीं देते थे। लेकिन चढ़ाने के बाद भी श्रद्धालुओं को प्रसाद वापस नहीं मिलता था। जिसे लेकर श्रद्धालु परेशान हो उठे। शिकवा शिकायतों व अधिकारियों का ध्यान आकर्षित कराने के बाद पचास रुपये के प्रसाद में नारियल देने का काम शुरू हुआ। लेकिन यह सिलसिला दोबारा शुरू हो गया।

लेकिन चैत मेला खत्म होते होते मेला प्रबंधन ने जिस ठेकेदार को प्रसाद की पैकिंग लेने के लिए रखा था। उसी ठेकेदार ने प्रसाद में ही घपला करना शुरू कर दिया था। लेकिन इसका खुलासा बुधवार को तब हुआ जब मंदिर में 150 बोरी प्रसाद की भेजी गई, पर्ची पर दो सौ बोरी दिखा दी गई। हालांकि मंदिर प्रबंधन के अधिकारियों व निजी सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें तब दबोच लिया। जब पैक किया हुआ प्रसाद मंदिर के प्रांगण में ही चोरी छुपे बेचा जा रहा था। जिसमें ठेकेदार के पांच आदमियों लिप्त पाए गए। मौके पर शीतला माता बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी वत्सल वशिष्ठ मौके पर आ धमके। उन्होंने पकड़े गए कर्मियों को पुलिस को सौंपने के बजाए पांचों पर 16-16 हजार रुपये का जुर्माना ठोंक दिया। लेकिन ठेकेदार पर कोई कार्रवाई नहीं की। इस बाबत मुख्य कार्यकारी अधिकारी वत्सल वशिष्ठ से सपंर्क किया गया लेकिन वे उपलब्ध नहीं हो सके।

'जुर्माना भी हुआ, पुलिस में भी शिकायत की गई है। इन कर्मियों के खिलाफ मामला भी दर्ज होना चाहिए।'

राकेश शर्मा, सदस्य : शीतला माता मंदिर बोर्ड


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