महाबोधि मंदिर की सुरक्षा को प्रशासन गंभीर नहीं
विश्वदाय धरोहर महाबोधि मंदिर भले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्यात हो। लेकिन स्थानीय पुलिस-प्रशासन के लिए यह स्थानीय धरोहर के समान ही है। तभी तो, मंदिर की सुरक्षा में तैनात बिहार सैन्य पुलिस के जवानों को चुनाव डयूटी पर लगाकर सैप व बिहार पुलिस के जवानों के हाथों में सुरक्षा की जिम्मेवारी सौंप दी गई है। मानो जिस प्रकार अ
बोधगया (गया)। विश्वदाय धरोहर महाबोधि मंदिर भले ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्यात हो। लेकिन स्थानीय पुलिस-प्रशासन के लिए यह स्थानीय धरोहर के समान ही है। तभी तो, मंदिर की सुरक्षा में तैनात बिहार सैन्य पुलिस के जवानों को चुनाव डयूटी पर लगाकर सैप व बिहार पुलिस के जवानों के हाथों में सुरक्षा की जिम्मेवारी सौंप दी गई है।
मानो जिस प्रकार आंतकी संगठन ने पहले हमले की चेतावनी दी और हम नहीं चेते तो सीरियल बल ब्लास्ट की घटना घटित हुई। हालांकि घटना को अंजाम देने वाला इंडियन मुजाहिदीन का सरगना तहसीन ने पकड़े जाने पर खुफिया एजेंसियों के समक्ष पूछताछ के दौरान खुलासा किया था कि पुन: बोधगया में धमाका करने की योजना थी। लेकिन वो पकड़ा गया। अभी भी आतंकियों के लिस्ट से महाबोधि मंदिर हटा नहीं है। बावजूद इसके पुलिस-प्रशासन गंभीर नहीं दिखती। बीटीएमसी के समीप बने पुलिस पोस्ट में ताला लटका है।
दस माह बाद भी नहीं आई सीआईएसएफ- बोधगया में गत वर्ष घटित सीरियल बम धमाके के पश्चात राज्य सरकार की मांग पर केन्द्र सरकार ने महाबोधि मंदिर की सुरक्षा सीआईएसएफ को सौंपने की घोषणा की थी। यह देश का पहला धार्मिक स्थल है। जहां की सुरक्षा की जिम्मेवारी सीआईएसएफ के हाथों में होगी। लेकिन घोषणा हुए लगभग दस माह बीत गए। इस बीच सीआईएसएफ के कई अधिकारी स्थल का मुआयना करने आए और गए। लेकिन सीआईएसएफ की बटालियन नहीं पहुंच सकी। इस संबंध में डीएसपी सतीश कुमार ज्यादा कुछ बताने में अपने को अक्षम बताते हैं। सिर्फ इतना कहते हैं कि चुनाव के कारण कुछ कटौती की गई है।