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महागौरी की पूजा से सीता को मिले थे राम

माता सीता ने भगवान श्रीराम को वर रूप में प्राप्त करने के लिए महागौरी की पूजा की थी। यह देवी अखंड सौभाग्य व अखंड सुख देने वाली हैं। ज्योतिषाचार्य पंडित राजकुमार शास्त्री ने बताया कि नवरात्र के आठवें दिन मां भगवती के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा आराधना की जाती है। यह देवी पूरी तरह से गौरवण्

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 02 Oct 2014 03:47 PM (IST)Updated: Fri, 03 Oct 2014 07:57 AM (IST)
महागौरी की पूजा से सीता को मिले थे राम

नई दिल्ली/बागपत/पलवल/ माता सीता ने भगवान श्रीराम को वर रूप में प्राप्त करने के लिए महागौरी की पूजा की थी। यह देवी अखंड सौभाग्य व अखंड सुख देने वाली हैं।

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ज्योतिषाचार्य पंडित राजकुमार शास्त्री ने बताया कि नवरात्र के आठवें दिन मां भगवती के आठवें स्वरूप मां महागौरी की पूजा आराधना की जाती है। यह देवी पूरी तरह से गौरवर्ण की हैं। इनकी आयु आठ वर्ष की मानी गई है। इनके वस्त्र आभूषण सभी श्वेत वर्ण के हैं। महागौरी की चार भुजाएं हैं। इनका वाहन वृषभ है। इनकी मुद्रा अत्यंत शांत है। माता धन, यश, बुद्धि व सुख देने वाली हैं।

अपने पार्वती के रूप में भगवान शंकर को वर रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या करने के कारण इनका वर्ण काला पड़ गया था। तब भगवान शंकर ने प्रसन्न होकर गंगाजल से इन्हें स्नान कराया, तब इनका वर्ण अत्यंत गोरा हो गया। तभी से इनका नाम महागौरी पड़ गया।

त्रेता युग में भगवान राम को वर रूप में प्राप्त करने के लिए माता सीता ने इन्हीं महागौरी की पूजा करके राम को वर रूप में प्राप्त किया था। यह माता अखंड सौभाग्य व अखंड सुख देने वाली हैं।

बुधवार को माता के सातवें स्वरूप मां कालरात्रि का विधि विधान से पूजन किया गया। मंदिरों दिन भर श्रद्धालुओं की भीड़ रही। बाबा जानकीदास मंदिर में दुर्गा सप्तशती का पाठ किया गया।

महिलाओं ने किया भजन कीर्तन

दिल्ली यमुनोत्री स्थित जाट भवन में महिलाओं ने भजन कीर्तन किया। महिलाओं ने ढोलक आदि के साथ कई भक्तिमय देवी गीत प्रस्तुत किए।

अष्टमी पर कंजक पूजन की तैयारियों में श्रद्धालु

पलवल:

नवरात्रों की सप्तमी तिथि पर मंदिरों व बाजारों में दिनभर भीड़ भाड़ देखने को मिली। लोगों ने कंजक पूजन के लिए भी खरीददारी की और देवी की आराधना करते हुए व्रत रखे।

नवरात्रों की सप्तमी तिथि पर जवाहर नगर कैंप स्थित वैष्णो काली मंदिर के कपाट भी खोले गए। वहां भक्तों की खासी भीड़ देखने को मिली। भक्तों ने जमकर मंदिरों में माता के जयकारे लगाए और माता की पूजा आरती की। देर सांय तक मंदिरों में भीड़ लगी रही।

बाजारों में मिले श्रृंगार के पैकेट

अष्टमी तिथि पर कंजक पूजन किया जाता है, इसके लिए बाजारों में कई प्रकार की सामग्री उपलब्ध थी। लोगों ने कन्याओं को देने के लिए श्रृंगार के पैकेट, माता की चुनरी, बर्तन लिए। श्रृंगार के पैकेटों में भी काफी वैरायटी दिखाई दी। छोटी कन्याओं की पसंद के अनुसार छोटे क्लिप, कल्चर, अंगूठी, हार, शीशा, सेंट शामिल होते हैं।

नवरात्रों में व्रत रखने के बाद अष्टमी के दिन छोटी-छोटी कन्याओं को घर में बुलाकर पूजन करती हूं। इससे माता रानी आशीर्वाद देती हैं और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।

-सिम्मी, गृहणी

नवरात्रों में माता सबकी झोलियां भरती हैं। नवमी के दिन कन्या पूजन करने से ही व्रत पूरा होता है। छोटी कन्याएं मां का स्वरूप होती हैं, इसलिए ही उनका पूजन किया जाता है।

श्वेता, गृहणी

अष्टमी पर कंजक पूजन करने से आत्मिक सुख की प्राप्ति होती है। मां सबकी झोली खुशियों से भरती हैं। कन्याओं का घर बुलाकर उनकी इच्छा अनुसार पसंदीदा भोजन करवाना चाहिए और उपहार देना चाहिए। कन्याओं को खुश करने से मां प्रसन्न होती हैं और आशीर्वाद देती हैं।

-अशोक शुक्ल, पंडित सनातन धर्म मंदिर न्यू कालोनी

मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़

दक्षिणी दिल्ली-

राजधानी के मंदिरों में अष्टमी महोत्सव मनाई गई। बृहस्पतिवार को गांधी जयंती की छुट्टी होने व अष्टमी के कारण मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। इस कारण मंदिरों में सुरक्षा के व्यापक बंदोबस्त भी किए जा रहे हैं। कालकाजी, छतरपुर समेत अन्य मंदिरों के आसपास सुरक्षा व्यवस्था पर काफी जोर दिया जा रहा है।

मंदिरों में अष्टमी व नवमी के दिन मां के दर्शनों के लिए सबसे ज्यादा भक्त आते हैं। उधर, मंदिरों में अष्टमी व नवमी की भव्य तैयारी की गई है। बृहस्पतिवार को मां भगवती के 'महागौरी' स्वरूप की पूजा अर्चना की गई। इसके साथ ही कन्या पूजन व अष्टमी जागरण भी होगा। श्री चौमुखा मंदिर, हौजकाजी में मां भगवती की विशेष पूजा-अर्चना की गई। कालकाजी व छतरपुर मंदिर में बड़ी संख्या में भक्तों ने मां के दर्शन किए। मंदिर परिसर में चारों ओर जय माती दी का स्वर गूंज रहा था। मां की एक झलक पाने के लिए भक्तगण लालायित थे। कालिका जी मंदिर में मां का गुणगान हर ओर सुनने को मिल रहा था। मां के भजनों से मंदिर परिसर सराबोर था। छतरपुर मंदिर में मां कात्यायनी के दर्शन के लिए ना केवल दिल्ली से बल्कि फरीदाबाद व गुड़गांव से भी भारी तादात में भक्त पहुंच रहे हैं। मंदिर संचालक के अनुसार अष्टमी व नवमी के लिए मंदिर में विशेष इंतजाम किए गए हैं।

दुर्गा पूजा महोत्सव में सामाजिक एकजुटता का संदेश

पूर्वी दिल्ली के मयूर विहार फेस-3 में बंगिया सांस्कृतिक परिषद की ओर से हर वर्ष विशेष दुर्गा पूजा का अयोजन किया जाता है। परिषद द्वारा इस बार भी भव्य दुर्गा पूजा महोत्सव मनाया जा रहा है। दुर्गा पूजा के लिए यहां हर बार यहां एक सुंदर पंडाल बनाया जाता है। जिसके लिए महीनों से तैयारियों शुरू हो जाती हैं। दुर्गा पूजा महोत्सव में सभी का विशेष सहयोग मिलता है। जिसमें स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं आरडब्ल्यूए की भी अहम भूमिका रहती है।

इतिहास

बंगिया सांस्कृतिक परिषद द्वारा पिछले 22 वर्षो से दुर्गा पूजा का आयोजन कराया जा रहा है। इस बार यहां 23वां दुर्गा पूजा महोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। 1992 में जब यहां पूजा शुरू की गई, तब यह काफी छोटे स्तर पर हुआ करती थी। शुरुआत में करीब 150 सदस्य ही इस परिषद से जुड़े थे, जो अब बढ़कर 500 तक पहुंच गए हैं। उस समय पूजा का स्वरूप काफी अलग होता था, जिसमें जमीन पर बैठा कर सभी लोगों को भोजन कराया जाता था। बदलते समय के साथ इस पूजा ने काफी भव्य स्वरूप ले लिया है।

आकर्षण

हर बार की तरह इस बार भी पंडाल में दुर्गा माता की बेहद आकर्षक प्रतिमा की स्थापना की गई है। दुर्गा पूजा के दौरान एक साथ जलाई जाने वाली 1008 मोमबत्तियां यहां मुख्य आकर्षण का केंद्र रहती हैं। महोत्सव में आयोजित किए जाने वाले विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम में शामिल होने यहां दूर-दूर से लोग आते हैं। बच्चों के बीच होने वाली तरह-तरह की प्रतियोगिताएं भी सभी को आकर्षित करती हैं। विसर्जन के दिन सफेद वस्त्रों में महिलाएं एवं सिंदूर की मिनी होली भी आकर्षण का केंद्र रहेगी।

कार्यक्रम

2 अक्टूबर : अष्टमी, महा अष्टमी पूजा, संधि पूजा, हवन, दीप प्रज्जवलन।

3 अक्टूबर : नवमी, महा नवमी पूजा, देर रात तक शानदार सांस्कृतिक का आयोजन।

4 अक्टूबर : दशमी, दशमी पूजा, प्रतिमा विसर्जन, सिंदूर की मिनी होली।

समिति कार्यकारिणी

- दुर्गा पूजा महोत्सव हमारे लिए हमेशा बेहद खास होता है। बंगालियों का प्रमुख त्योहार होने की वजह से इसका भव्य आयोजन कराया जाता है।

- आरके दास, अध्यक्ष।

- पहले यह पूजा काफी छोटे स्तर पर शुरू की गई थी। वहीं अब हमने इसे काफी बड़ा स्वरूप दे दिया है और हमें सभी का सहयोग मिल रहा है

- राजन भट्टाचार्य, महासचिव।

- दुर्गा पूजा तो हमारे लिए विशेष महत्व रखती ही है। हम जो राशि एकत्रित करते हैं, उसका एक हिस्सा गरीबों की सहायता पर खर्च होता है।

- सुजीत चटर्जी, कोषाध्यक्ष।

- दो वर्ष बाद परिषद के दुर्गा पूजा महोत्सव को 25 वर्ष पूरे हो जाएंगे। जिसके लिए भव्य आयोजन के लिए हम अभी से तैयारी शुरू कर रहे हैं।

- अजीत दास, पूजा सचिव।


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