माघ मेले में रहेगी आतंकी खतरा, आइए जानें कब होगी कौन-कौन स्नान
आस्ट्रेलिया में बंधक बनाए जाने और पाकिस्तान के पेशावर में बच्चों की सामूहिक हत्या से सतर्क राज्य की सुरक्षा एजेंसियों ने इलाहाबाद के माघ मेले को लेकर चौकसी बढ़ा दी है। मेले की सुरक्षा के पहले ही पुख्ता इंतजाम किए गए थे लेकिन अब नई परिस्थितियों के सापेक्ष सुरक्षा की
लखनऊ। आस्ट्रेलिया में बंधक बनाए जाने और पाकिस्तान के पेशावर में बच्चों की सामूहिक हत्या से सतर्क राज्य की सुरक्षा एजेंसियों ने इलाहाबाद के माघ मेले को लेकर चौकसी बढ़ा दी है। मेले की सुरक्षा के पहले ही पुख्ता इंतजाम किए गए थे लेकिन अब नई परिस्थितियों के सापेक्ष सुरक्षा की तैयारी चल रही है।
इलाहाबाद के माघ मेले में भी आतंकी खतरे का संकेत मिला है। आतंकियों की घुसपैठ की आशंका को देखते हुए अभिसूचना इकाइयों का अलर्ट किया गया है। साधु-संन्यासी के वेश में आने वालों की गोपनीय ढंग से शिनाख्त करने और उन पर नजर रखने की हिदायत दी गयी है। मेला पांच जनवरी से शुरू हो रहा है। उसके पहले ही इलाहाबाद में श्रद्धालुओं का जमावड़ा होगा। पहले मेला क्षेत्र को 35 सीसीटीवी कैमरे से आच्छादित करने की योजना थी। अब सीसीटीवी कैमरे बढ़ाये जायेंगे। 17 फरवरी को समापन के समय तक मेले में सतर्कता रहेगी। संदिग्धों की तलाशी के लिए मेटल डिटेक्टर और हैंड मेटल डिटेक्टर की भी संख्या बढ़ाई जायेगी। इसके लिए शीघ्र ही इलाहाबाद प्रशासन और शासन की उच्च स्तरीय बैठक होगी।
इलाहाबाद में जल पुलिस, पीएसी समेत भारी फोर्स दी गई है। अनुभवी अफसरों को सकुशल मेला सम्पन्न कराने को तैनात किया गया है। अब एटीएस के कमांडो और एसटीएफ की विशेषज्ञ टीम भी भेजने की तैयारी है। मुख्य स्नान पर्व पर विशेष सुरक्षा के इंतजाम हैं। इलाहाबाद जीआरपी के पुलिस अधीक्षक दिलीप कुमार श्रीवास्तव को रेल यात्रियों के प्रबंधन और सुरक्षा की दृष्टि से विशेष जिम्मेदारी सौंपी गई है।
मेला क्षेत्र में आने वाले संदिग्धों पर रहेगी कड़ी नजर-इलाहबाद में माघ मेला की शुरूआत पांच जनवरी 2015 से हो रही है। समापन 17 फरवरी को होगा। पांच जनवरी को पौष पूर्णिमा, 14 जनवरी को मकर संक्रांति, 20 जनवरी को मौनी अमावस्या, 24 जनवरी को बसंत पंचमी, तीन फरवरी को माघी पूर्णिमा और 17 फरवरी को महाशिवरात्रि का स्नान है।
माघ मेला की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है और तैयारियां मुकम्मल होने में अब सिर्फ एक दिन शेष रह गए हैं लेकिन तमाम काम पूरे नहीं हो सके हैं। कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां अभी तक चकर्ड प्लेट तक नहीं बिछाई जा सकी है। बिजली के खंभों में तार लगाने का काम भी अभी अधूरा है। नवनिर्मित पीपा पुल अभी से ही दम तोड़ने लगे हैं। ऐसे में मेले में आने वाले तीर्थ यात्रियों और श्रद्धालुओं को मुश्किल हो सकती है।
वैसे तो मेला एक जनवरी से अपनी रौ में आएगा लेकिन कल्पवासियों के आने का सिलसिला 25 दिसंबर से शुरू हो जाएगा। माघ मेले का पहला स्नान पर्व पौष पूर्णिमा पांच जनवरी को है। हालांकि मेले की अनौपचारिक शुरुआत एक जनवरी से ही हो जाएगी। इसके पहले मेला प्रशासन को अपनी तैयारियां पूरी कर लेनी होगी। तैयारियों को पहले समय सीमा 20 दिसंबर तय की गई थी, लेकिन बाद में इसमें दो दिन और जोड़ दिए गए थे। इस तरह देखा जाए तो अब सिर्फ एक दिन शेष रह गए हैं और तैयारियां अभी अधूरी ही हैं। खाक चौक में तो अभी तक चकर्ड प्लेट बिछाने का कार्य भी पूरा नहीं हो सकता है, जबकि संस्था से संबंधित साधु-संतों का आगमन शुरू हो गया है। रविवार को खाक चौक में सफाई और बिजली के तार लगाने का काम चल रहा था। कल्पवासी क्षेत्रों में भी अभी तमाम कार्य बाकी हैं। 25 दिसंबर से मेला क्षेत्र में कल्पवासियों का आना भी शुरू हो जाएगा, लेकिन क्या उन्हें जन सुविधाओं मिल पाएंगी, इस प्रश्न का उत्तर मेला प्रशासन को ढूंढना होगा। अधिकांश जगहों पर बिछाई गई चकर्ड प्लेटों को आपस में जोड़ा ही नहीं गया। ऐसे में वे राहगीरों को दर्द देने से भी नहीं चूकेंगे। जमीन समतलीकरण का कार्य अभी चल रहा है। झूंसी क्षेत्र में अभी काफी काम होने बाकी हैं। पेयजल के लिए अभी तक पाइपलाइन बिछाने का कार्य भी पूरा नहीं हो सका है। सीएमओ डॉ. पदमाकर सिंह यह दावा जरूर करते हैं कि मेला शुरू होने से पहले अस्पताल तैयार हो जाएंगे। माघ मेला क्षेत्र में संगम घाट पर पॉलीथीन में बेचा जा रहा सामान।माघ मेला क्षेत्र में महाबीर मार्ग का पुल बनने से पहले टूटने की कगार पर है। माघ मेले में आने वाले श्रद्धालुओं को साफ पानी मुहैया कराने के मकसद से सोमवार से गंगा की निगरानी शुरू होगी। गंगा प्रदूषण मामले में हाईकोर्ट द्वारा नियुक्त किए गए ‘एमिकस क्यूरी’ अरुण कुमार गुप्ता गंगा-यमुना में गिरने वाले नालों एवं सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) की जांच शुरू करेंगे। उन्होंने मुख्य सचिव आलोक रंजन को शनिवार को पत्र लिखकर गंगा की दुर्दशा पर चिंता भी जताई है।
दो महीने से गंगा की दशा को लेकर प्रयाग में हंगामा बरपा हुआ है। कई बार गंगा का पानी लाल और काला हो चुका है। इसकी वजह से केंद्रीय मंत्री उमा भारती को भी यहां आना पड़ा। स्थानीय प्रशासन ने भी अपने स्तर से तमाम कवायदें की हैं, लेकिन गंगा और यमुना नदियों में गिरने वाले 57 बड़े नालों को ट्रैप न किया जा सका और न ही एसटीपी ने ही पूरी क्षमता से काम करना शुरू किया। लिहाजा, पानी की स्थिति जस की तस बनी है। माघ मेला सिर पर है, कुछ दिनों में लाखों श्रद्धालु संगम की रेती पर आने लगेंगे। ऐसे में उन्हें स्नान को स्वच्छ पानी मिलने का भी संकट खड़ा हो सकता है। इससे इतर श्रद्धालुओं को साफ पानी मुहैया कराने की उम्मीद के साथ एमिकस क्यूरी ने अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। उन्होंने मुख्य सचिव को लिखे पत्र में गंगा की स्वच्छता के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कराने अन्यथा कार्रवाई के लिए कहा है। उनका मानना है कि नालों और सीवर का पानी गंगा में जाने से रुक जाएगा तो गंगा का पानी साफ हो जाएगा। चोट लगने से हुई थी साइबेरियन पक्षी की मौत
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा, गर्दन में चोट के निशान
मंगलवार 16 दिसंबर को संगम में साइबेरियन पक्षी की मौत चोट लगने से हुई थी। यह खुलासा पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हुआ है। पक्षी के गले में चोट लगने से उसकी जान गई थी।
मंगलवार को गंगा का पानी फिर लाल हो गया था। मामले की जानकारी मंडलायुक्त को हुई तो उनके निर्देश पर माघ मेलाधिकारी डा. आरके शुक्ला और मत्स्य विकास अधिकारी हरीश सहाय ने मौके पर जाकर हकीकत परखी। निरीक्षण के दौरान संगम में एक साइबेरियन पक्षी भी मरा पाया गया था जिसे पोस्टमार्टम के लिए वन विभाग को सौंपा गया था। वन विभाग ने पक्षी को बरेली में इंडियन वेटनरी रिसर्च इंस्टीट्यूट भेज दिया था। उसकी रिपोर्ट आ गई है। जिला वनाधिकारी मनोज खरे ने बताया कि पक्षी की मौत गले के पास चोट लगने से हुई। उनका कहना है कि चोट का कारण स्पष्ट नहीं है लेकिन नाविक का चप्पू लगने अथवा किसी बच्चे के ईंट-पत्थर मार देने की वजह से भी पक्षी को चोट लगी होगी।