अर्धकुंभ में भीड़ नियंत्रण को बने कार्ययोजना
मुख्यमंत्री हरीश रावत ने हरिद्वार में अर्धकुंभ-2016 में भीड़ नियंत्रण की समस्या से निपटने के लिए पुलिस और लोक निर्माण विभाग को कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए। निर्माण कार्य तेज करने को लोक निर्माण, ऊर्जा, सिंचाई और पेयजल के अस्थायी निर्माण खंडों को क्रियाशील बनाने को कहा गया।
देहरादून। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने हरिद्वार में अर्धकुंभ-2016 में भीड़ नियंत्रण की समस्या से निपटने के लिए पुलिस और लोक निर्माण विभाग को कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए। निर्माण कार्य तेज करने को लोक निर्माण, ऊर्जा, सिंचाई और पेयजल के अस्थायी निर्माण खंडों को क्रियाशील बनाने को कहा गया।
मुख्यमंत्री ने सचिवालय में गुरुवार देर शाम अर्धकुंभ की तैयारियों के संबंध में उच्चस्तरीय बैठक में शिरकत की। उन्होंने मेले की व्यवस्थाओं के लिए गढ़वाल मंडलायुक्त एवं पुलिस महानिरीक्षक को भी आपसी समन्वय के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि मेले के दौरान अव्यवस्था अथवा भगदड़ रोकने के लिए प्रभावी पहल होनी चाहिए। मेलाधिकारियों को जिन अधिकारियों की तत्काल आवश्यकता है, उनकी तैनाती जल्द कराने को कहा गया है। साथ में मेले के लिए स्वीकृत कार्यो के क्रियान्वयन में तेजी लाने की हिदायत भी दी। पिछले कुंभ मेलों में सृजित किए गए आवश्यक पद दोबारा सृजित करने का निर्णय लिया गया। अधिक से अधिक स्थायी प्रकृति के कार्यो पर ध्यान देने और विद्युत तारों को भूमिगत करने और गंगनहर के किनारे रास्तों का निर्माण करने के निर्देश दिए गए। मुख्यमंत्री ने कहा कि घाटों पर आने-जाने के मार्गो को अलग-अलग रखा जाना चाहिए। पार्किंग स्थलों को सुविधायुक्त बनाने और शहर में आवागमन के लिए शटल बसों की व्यवस्था पर जोर दिया गया। अर्धकुंभ के दौरान सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद रखने को खुफिया तंत्र को मजबूत करने और हरिद्वार से लगी प्रदेश की सीमा से सटे क्षेत्रों में सजगता बरतने के निर्देश दिए गए। इन क्षेत्रों में मुखबरी तंत्र प्रभावी बनाया जाएगा। आपदा स्थिति के लिए भूपतवाला क्षेत्र में हेलीपैड निर्माण, हरकीपैड़ी के विस्तारीकरण पर शीघ्र काम करने को कहा गया है। अपर मुख्य सचिव राकेश शर्मा ने बताया कि अर्धकुंभ मेले के लिए 123 करोड़ के 17 स्थायी प्रकृति के कार्यो को स्वीकृति दी जा चुकी है। 17 करोड़ के सात कार्यो की स्वीकृति शीघ्र प्रदान की जाएगी। अर्धकुंभ मेले के लिए केंद्र सरकार से 1037 करोड़ की विशेष केंद्रीय सहायता की मांग भी की गई है। आइजी गढ़वाल रेंज संजय गुंज्याल ने पुलिस व्यवस्था के संबंध में प्रस्तुतीकरण दिया।
उन्होंने पुलिस बंदोबस्त के लिए 146 करोड़ की आवश्यकता जताई। बैठक में मुख्य सचिव एन रविशंकर, अपर मुख्य सचिव एस राजू, प्रमुख सचिव मुख्यमंत्री ओमप्रकाश, पुलिस महानिदेशक बीएस सिद्धू, पर्यटन सचिव उमाकांत पंवार, शहरी विकास सचिव डीएस गब्र्याल, मेलाधिकारी एसए मुरुगेशन समेत कई अधिकारी मौजूद थे।
अर्धकुंभ में बदला विभागों का फोकस एरिया-
अर्धकुंभ के कामों में हो रही देरी ने विभागों का पूरा प्लान ही बिगाड़ दिया है, जो काम सर्वोच्च प्राथमिकता के थे उन्हें किनारे कर दिया है। अब द्वितीय व तृतीय वरीयता के काम आगे हो गए हैं। इन कामों के जरिये भीड़ नियंत्रण की तैयारी की जा रही है। हरकी पैड़ी के आसपास भी प्राथमिक काम नहीं हो पाएंगे। राज्य सरकार पहले ही कामों मे जल्दी न दिखाने की बाद कहते हुए 'लांग टर्मÓ प्लान की बात कह चुकी है।
अर्धकुंभ के स्वीकृत हुए चौदह कामों में से केवल एक ही काम प्राथमिक कामों की सूची में शामिल था। बाकी तेरह काम ऐसे हैं, जिनको पहले जारी की गई सूची में द्वितीय व तृतीय वरीयता के कामों में रखा था। केवल बिरला घाट के पास ही पुल का काम प्राथमिक काम की सूची में है। चौदह में से नौ काम भी अस्थाई हैं। दरअसल, अर्धकुंभ मेले के कामों को पूरा कराना मेले से पूर्व संभव नहीं है। सरकार के पास धन भी नहीं है, समय का भी अभाव बना है। इससे विभागों की प्लानिंग का पूरा काम गड़बड़ाया है। जिन कामों पर पहले फोकस किया गया था उनकी जगह अब दूसरे काम पहले होने हैं। हिल बाईपास मार्ग व हरकी पैड़ी जाने के लिए सीसीआर टावर के पास एक स्थायी पुल का काम सबसे पहले होना था। इन्हीं कामों पर बैठकों में सबसे अधिक माथा पच्ची हुई। निरीक्षण भी अधिकांश बार यहीं का हुआ। अब बदली हुई परिस्थिति में विभागों को उन कामों पर फोकस करना पड़ रहा है, जो कि उनके लिए पहले बेहद जरूरी नहीं थे। फोकस एरिया बदलने के बाद विभागों को उन कामों को करना होगा जिनके लिए वे शुरू से तैयार नहीं थे। मेला अधिष्ठान के ओएसडी डीडी शर्मा का कहना है कि कामों की स्वीकृतियां सीधे विभागों को जारी होती है। जो काम अब तक स्वीकृत हुए हैं उनका उपयोग मेला में होगा।जागरण संवाददाता, हरिद्वार: अर्धकुंभ के कामों में हो रही देरी ने विभागों का पूरा प्लान ही बिगाड़ दिया है, जो काम सर्वोच्च प्राथमिकता के थे उन्हें किनारे कर दिया है। अब द्वितीय व तृतीय वरीयता के काम आगे हो गए हैं। इन कामों के जरिये भीड़ नियंत्रण की तैयारी की जा रही है। हरकी पैड़ी के आसपास भी प्राथमिक काम नहीं हो पाएंगे। राज्य सरकार पहले ही कामों मे जल्दी न दिखाने की बाद कहते हुए 'लांग टर्मÓ प्लान की बात कह चुकी है।
अर्धकुंभ के स्वीकृत हुए चौदह कामों में से केवल एक ही काम प्राथमिक कामों की सूची में शामिल था। बाकी तेरह काम ऐसे हैं, जिनको पहले जारी की गई सूची में द्वितीय व तृतीय वरीयता के कामों में रखा था। केवल बिरला घाट के पास ही पुल का काम प्राथमिक काम की सूची में है। चौदह में से नौ काम भी अस्थाई हैं। दरअसल, अर्धकुंभ मेले के कामों को पूरा कराना मेले से पूर्व संभव नहीं है। सरकार के पास धन भी नहीं है, समय का भी अभाव बना है। इससे विभागों की प्लानिंग का पूरा काम गड़बड़ाया है। जिन कामों पर पहले फोकस किया गया था उनकी जगह अब दूसरे काम पहले होने हैं। हिल बाईपास मार्ग व हरकी पैड़ी जाने के लिए सीसीआर टावर के पास एक स्थायी पुल का काम सबसे पहले होना था। इन्हीं कामों पर बैठकों में सबसे अधिक माथा पच्ची हुई। निरीक्षण भी अधिकांश बार यहीं का हुआ। अब बदली हुई परिस्थिति में विभागों को उन कामों पर फोकस करना पड़ रहा है, जो कि उनके लिए पहले बेहद जरूरी नहीं थे। फोकस एरिया बदलने के बाद विभागों को उन कामों को करना होगा जिनके लिए वे शुरू से तैयार नहीं थे। मेला अधिष्ठान के ओएसडी डीडी शर्मा का कहना है कि कामों की स्वीकृतियां सीधे विभागों को जारी होती है। जो काम अब तक स्वीकृत हुए हैं उनका उपयोग मेला में होगा।