प्रभु का साक्षात्कार
पहले तीर्थ यात्रा जाने का लाभ मिलता था। लोग श्रद्घा के साथ तीर्थ यात्रा जाते थे। उनके सारे मनोरथ पूरे हो जाते हैं पर अब वैसा नहीं हो रहा। क्योंकि हमने तीर्थ यात्रा को केवल यात्रा बनाकर छा़ेड दिया है। यह बात ब्ल्यू बर्ड स्कूल में आयोजित संगीतमय भागवत कथा
सीहोर। पहले तीर्थ यात्रा जाने का लाभ मिलता था। लोग श्रद्घा के साथ तीर्थ यात्रा जाते थे। उनके सारे मनोरथ पूरे हो जाते हैं पर अब वैसा नहीं हो रहा। क्योंकि हमने तीर्थ यात्रा को केवल यात्रा बनाकर छा़ेड दिया है। यह बात भागवत कथा के समापन अवसर पर उपस्थित श्रद्घालुओं से पंडित अजय पुरोहित ने कही।
पंडित अजय पुरोहित ने कहा कि पहले एक तीर्थ यात्रा भी कर आते थे तो मनोरथ पूर्ण हो जाते है पर अब हर साल तीर्थ यात्रा कर रहे है पर फल नहीं मिल रहा है, इसके पीछे का प्रमुख कारण यह कि लोगों ने इस साधारण यात्रा बना दिया है, पहले लोग तीर्थ यात्रा में धार्मिक ग्रंथ लेकर जाते थे पूरी श्रद्घा के साथ प्रभु का सिमरन करते हुए यात्रा पूर्ण करते थे पर अब स्थिति यह है कि यात्री यह चिंता करता है कि वहां रुकेंगे कैसे? कमरा मिलेगा कि नहीं? क्या खाएंगें? उन्होंने कहा कि जब तीर्थ यात्रा के दौरान अचार पापड़ की चिंता करेंगे तो फिर फल कैसे मिलेगा? मन पहले पहुंचे शरीर बाद में पंडित अजय पुुरोहित ने कहा कि सच्चा तीर्थ यात्री तो वहीं है जिसका मन तीर्थ धाम पर यात्रा शुरू करने के पहले पहुंच जाए और शरीर बाद में पहुंचें।
पूरे रास्ते वो प्रभु नाम का सिमरन करते हुए यात्रा को पूरी करे और वहां पर भी पूरी तरह सात्विक रह कर भजन पूजन करें सच्चे भाव और साफ मन रख कर यदि आप तीर्थ यात्रा करेंगे तो तय मानिए फल जरुर मिलेगा। गणेश जी की जगह उल्टा सातिया पंडित अजय पुरोहित ने कहा कि सीहोर के भगवान श्री गणेश सभी की चिंता को दूर करने के लिए देश भर में प्रसिद्घ है कई लोग कहते है कि हमारी मनोकामना ही पूर्ण नहीं हुई ऐसे लोग कभी यह नहीं सोचते कि ऐसा क्यों हुआ? हमारा ऐसे लोगों से निवेदन है कि वे भाव के साथ मंदिर पहुंचे आपको जिसने भी बताया कि मंदिर में उल्टा सातिया बनाने से फल की प्राप्ति होती है बस फिर क्या है आप पहुंचे बना दिया उल्टा सातिया, पर आपने भगवान श्री गणेश जी के तो दर्शन ही नहीं किए आपने तो यह देखा ही नहीं कि भगवान जी का आज कितना मनभावन श्रृंगार हुुआ है आपने प्रभु को दो पल निहारा भी नहीं और उल्टा सातिया बनाकर आ गए, जो प्राणी भगवान के पूर्ण भाव से दर्शन करता है श्रद्घा के साथ उल्टा सातिया बनाता है भगवान श्री गणेश उसकी हर मनोकामना को पूर्ण करते है आप किसी भी मंदिर जाए और वहां पर भगवान के दर्शन मन से नहीं किए उनका श्रृंगार नहीं निहारा उनसे प्रार्थना ही नहीं की तो लाभ नहीं मिलेगा मंदिर नियमित जाना और प्रभु के दर्शनों का फल मिलना तय शुदा है। उन्होंने कहा कि यदि आपको प्रभु का साक्षात्कार करना है तो गोपियां तो बनाना ही होगा आपका पूर्ण समपर्ण ही आपको गोपियां बना सकता है